बुधवार, 5 दिसंबर 2012

सफर मंजिलो तक के पूरे नही होते, ये वो रास्ते है, जिनके फासले कम नही होते, हमने हर राह पर चल कर देखी है, कन्ही भी रंजधगम कम नही होते, जिन्दगी गर जी भर जीने की तमन्ना है, रास्ते कम नही होते, वादो पर यकीन करना यकीनन आसान होता है, पर वादे निभाना आसान नही होते, हर राह का अन्त एक कव्रिस्तान पर होता है, यही पर सभी सफर खत्म होते................., गौरव दीक्षित(अपने निजी जीवन पर)

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