रविवार, 1 मई 2016

तुम्ही में खो बैठे हैं ....

आज फिर से हम
एक खता कर बैठे हैं,
तुमको याद करके
तुम्ही में खो बैठे हैं,

सारी उम्र रहेगा मुझपर
तेरी मुहोब्बत का सुरूर
उम्मीद लेकर जीता रहूंगा
तू आएगी फिर से जरूर

खता किसकी भी हो
गिला न कर सकूँगा
शिकवा है तुमसे मगर
मैं शिकवा कैसे करूँगा,

तेरा जाना जो दुनियां से
मेरा जाना भी हो गया
रूह बच गयी जिन्दा
पर दिल कब का मर गया

तेरा वजूद मुझमें जो
अब तलक बाँकी है
कभी रुखसत कभी फना
कभी मुझपे हाबी है

थाम कर दिल हाथ में
एक उम्मीद लिए बैठे हैं
तुमसे हर मिलन का
अहसास सजोयें बैठे हैं

जी उठेगा मेरा बेजान सा
हो चूका मासूम सा दिल
बस तेरे होने के एहसास
की उसे जरूरत है।

कर के खता इश्क की
अपना ये हाल कर लिया
जिन्दा है मगर बेजान से
हुये हम बैठे हैं.....

आज फिर से हम
एक खता कर बैठे हैं
तुमको याद करके
तुम्ही में खो बैठे हैं।।

अंतर्द्वंद

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