तुम जरूरतमंद हो ,
हम भी जरूरतमंद हैं ,
हाथ पर तकदीर के ,
रब ने लिखे अनुबंध हैं ।
आज बारी है मेरी तो
कल तुम्हारी आयेगी ,
उम्र के लम्बे सफर में ,
बस यही तो द्वंद हैं ।
वो घुमाता डोर तो
मुडना हमें पडता वहीं ,
यों तो अपने रास्ते पर ,
हम सभी स्वच्छंद हैं ।
एक दूजे से यहाँ ,
चलता सभी का काम जब ,
आदमी पर आदमी के
क्यों कडे प्रतिबंध हैं ।
फिक्र मुट्ठी में दबोचे ,
फिर रही तू क्यों विभा,
दे उडा इसको तेरे बाजू में
सब आनन्द हैं ।
हम भी जरूरतमंद हैं ,
हाथ पर तकदीर के ,
रब ने लिखे अनुबंध हैं ।
आज बारी है मेरी तो
कल तुम्हारी आयेगी ,
उम्र के लम्बे सफर में ,
बस यही तो द्वंद हैं ।
वो घुमाता डोर तो
मुडना हमें पडता वहीं ,
यों तो अपने रास्ते पर ,
हम सभी स्वच्छंद हैं ।
एक दूजे से यहाँ ,
चलता सभी का काम जब ,
आदमी पर आदमी के
क्यों कडे प्रतिबंध हैं ।
फिक्र मुट्ठी में दबोचे ,
फिर रही तू क्यों विभा,
दे उडा इसको तेरे बाजू में
सब आनन्द हैं ।