शनिवार, 5 दिसंबर 2015

वो अज़नबी लोग

एक लड़का था.. बचपन में काफी इंटेलीजेंट था। वैसे उसे यकीन नही इस बात का लेकिन ऐसा सब कहते हैं तो उसने भी मान ही लिया। बड़ा हुआ तो अपनी क्लास में हमेशा(कभी-कभी नही भी) सेकंड टॉप किया करता था। लेकिन जब वो 12th में आया तो लड़के की संगत कुछ गंदे लोगो से हो गई और उसकी लाइफ स्टाइल भी बदल गई। दारु सिगरेट पिने वाले वो लड़के खूब गुंडागर्दी करते, घंटो तक बार में बैठा करते। लड़का भी उनके साथ पूरी तरह मक्कार हो गया। 12th में तो फिर भी वो जैसे तैसे पास हो गया लेकिन नेक्स्ट इयर उसकी मक्कारियां और बढ़ गई। फिर एक साल बाद उसने अपना aieee का रिजल्ट देखा तो उसे महसूस हुआ की उसने क्या खो दिया हैं। एक वक्त था जब उसे मज़ा आता था पढने में लेकिन आज वो बस खुद को बर्बाद करने में लग चूका हैं।
उसने ऑलमोस्ट अपने दो साल बर्बाद कर लिये। 12th और उसके बाद एक साल ड्रॉप.. लड़के को कोई अच्छा कॉलेज भी नही मिला। उसके सब दोस्त भी छुट ही गये.. क्यों की या तो सब गुंडे थे या फिर काफी इंटेलीजेंट। देर से ही सही उसने फिर से पढना शुरू किया। घरवालो को जब पता चला उसकी मक्कारी के बारे में तो उन्होंने उसे दोबारा aieee की कोचिंग में एडमिशन दिलवाने से मना कर दिया। एक प्राइवेट कॉलेज से वो बी टेक भी करने लगा। लेकिन लास्ट दो इयर में हुई उसकी संगत ने उसे गुंडा तो बना ही दिया था। बस फिर क्या था, एक रोज झगड़ा हो गया उस कॉलेज में.. बात बढ़ी और लड़के ने किसी का सर फोड़ दिया। पुलिस केस हो गया। कॉलेज वालो ने सख्त एक्शन लिया और उसे कॉलेज से निकाल दिया गया। वैसे तो उसे इस कॉलेज में आना ही नही था लेकिन इस तरह इस कॉलेज से निकलने से उसकी लाइफ ही बदल गई। उसका एक और साल खराब हो चूका था। उसके घरवाले जो की पहले से ही नाराज थे अब उसके खिलाफ हो गये थे। उसके सारे दोस्त 1 या 2 साल आगे हो चुके थे। लडके के पास कोई भी नही था।
कॉलेज से घर जाते वक्त ट्रेन में बैठा हुआ वो सुसाइड करने के प्लान सोच रहा था। तब ट्रेन में एक लड़का मिला उसे.. वैसे तो वो अजनबी था लेकिन फिर भी उसने उसे अपनी पूरी कहानी सूना दी.. उस अजनबी ने उसे क्या कहा.. वो बात तो नही पता लेकिन वो लड़का अगले दिन अपने पिता के सामने पहुच गया।। अगले तीन महीनो तक उसके पापा ने उससे बात नही की। उसकी मम्मी बात बात पे रोने लग जाती। खैर फिर से इंजीनियरिंग करने के लिए स्टेट लेवल के फॉर्म भर दिये और वो लड़का फिर से पढाई में मन लगाने की कोशिश करने लगा। घर का माहोल बहुत ख़राब हो चूका था। और बाकि रही सही कसर रिश्तेदारों ने पूरी कर दी थी। उस वक्त लड़का मानसिक रूप से परेशान हो चूका था। कोई भी उसके साथ नही था। वो रोज घर से बस शाम को निकलता और थोड़ी देर बाद वापिस आके अपने कमरे में क़ैद हो जाता। वो हर रोज साइबर कैफ़े में जाके किसी अजनबी के रिप्लाई का रिप्लाई किया करता था। वो रिप्लाई उसे हर दिन झेलने की हिम्मत दे रहे थे।
उस वक्त ने उसका बोलना कम कर दिया तो उसने वक्त को जवाब देने के लिए लिखना शुरू कर दिया और आज तक वो लिख ही रहा हैं।
खैर आज इस बात को एक अरसा बीत चुका है। कितनी ही अच्छी यादें को बिच ये कडवी याद दफन सी हो गई हैं। आज लड़का अपने शहर के एक गवर्मेंट कॉलेज से बी टेक फाइनल इयर में हैं और वो अजनबी जो उसे एक दिन झेलने की हिम्मत देने वाले रिप्लाई करती थी। आज वो अजनबी उसकी जिंदगी को सबसे करीब से जानती हैं।
और एक रोज किसी ने कहा भी था,
"अजनबी लोगो से बात करना सबसे आसान होता हैं क्यों की उनसे ना तो कोई उम्मीद होती हैं और ना ही उनकी नजरो से गिर जाने का खौफ़। कभी कभी कोई अजनबी हमारी जिंदगी बचा लेता हैं और कभी कोई अजनबी उस जिंदगी को संवार देता हैं। अगर आपके पास ऐसा कोई अजनबी नही हैं तो खुद को किसी और की जिंदगी का वोही अजनबी बनाओ। जी खोल कर अजनबी लोगो से बात करो।"
नोट:- 4 साल पहले वो आज ही का दिन था..जब लड़के को कॉलेज से निकाला गया था।
और आज ही वो अजनबी उसके बारे में लिख रहा है ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...