यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
जीने को कोई तमन्ना नहीं बाकी बची अब
मौत के दर से वापस ये सांसें लौट आती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
इस उपन्यास का इक में और तू किरदार हे
पढ़ने वाला तेरे मेरे मिलन का तलबगार हे
उपन्यास रूह की ये कसम आज उठाती हे
मिलन बगैर कहानी दिलों में छप नहीं पाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
आस जब तलक हे बाकी आस इन्तजार करेगी
ये सास जब तलक हे बाकी सिर्फ तेरा नाम लेगी
बिन चिंगारी के लौ उखड़ उखड़ बिखर जाती हे
चिराग बुझने को हे ब्याकुल ये लौ लपलपाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
निगाह झुकी हुई हे जुबाँन खामोश रह जाती हे
कल के ख्यालों में कातिल तक़दीर इतराती हे
जन्नत की राह मुश्किल दोजख बाहं फैलाती हे
मौत आसान जिंदगी नामुमकिन हो जाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
जीने को कोई तमन्ना नहीं बाकी बची अब
मौत के दर से वापस ये सांसें लौट आती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
इस उपन्यास का इक में और तू किरदार हे
पढ़ने वाला तेरे मेरे मिलन का तलबगार हे
उपन्यास रूह की ये कसम आज उठाती हे
मिलन बगैर कहानी दिलों में छप नहीं पाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
आस जब तलक हे बाकी आस इन्तजार करेगी
ये सास जब तलक हे बाकी सिर्फ तेरा नाम लेगी
बिन चिंगारी के लौ उखड़ उखड़ बिखर जाती हे
चिराग बुझने को हे ब्याकुल ये लौ लपलपाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं
निगाह झुकी हुई हे जुबाँन खामोश रह जाती हे
कल के ख्यालों में कातिल तक़दीर इतराती हे
जन्नत की राह मुश्किल दोजख बाहं फैलाती हे
मौत आसान जिंदगी नामुमकिन हो जाती हे
यूँ न देख खामोश बोलती इन निगाहों से
ये आँखे बोले बिन उपन्यास लिख जाती हैं