तूं सोचता है क्यों भला
तेरे साथ कोई है नहीं
मायूसी तू खुद ही ओढे तो
उसमे कसूर उसका नहीं
चंचल ये तेरा चित रहे तो
विचलित तुझे होना ही है
संघर्ष है आगाज है
जीवन यही तूं मान ले
गायत्री शर्मा
तेरे साथ कोई है नहीं
मायूसी तू खुद ही ओढे तो
उसमे कसूर उसका नहीं
चंचल ये तेरा चित रहे तो
विचलित तुझे होना ही है
संघर्ष है आगाज है
जीवन यही तूं मान ले
गायत्री शर्मा
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