संपर्क हो किसी महान शख्स का
कर्मों से उसकी महानता देख
दीपक की तरह जो जगमग हैउ
से समझ पाना क्या कठिन है
जो खुद को देश पर कुर्बाँ करे
निजी स्वार्थ को जो दरकिनार करे
जो देश पर सर्वस्व निसार करे
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जलती तपती राहों पर चलकर
जो समाज की सेवा में तत्पर
सुख चैन नींद आलस्य त्याग
भारत का 'गौरव ' बढाता है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जलते है कुछ लोग यहाँ
ऐसे महान शख्सियतों से
गुनहगार न उससे बच पाए
वह प्रयास निरंतर करता है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जो अपने हर एक वादे को
जी -जान से पूरा करता है
जब नियति उसके विरूद्ध हो
उसमें उसकी क्या गलती है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
ठोकरों ने उसे चलना सिखाया
अपनों ने ही उससे मुंह फेरा
पुष्प- सा कोमल हृदय था जिसका
पाषाण हृदय वह कहलाया
उसे समझ पाना क्या कठिन है
गायत्री शर्मा
कर्मों से उसकी महानता देख
दीपक की तरह जो जगमग हैउ
से समझ पाना क्या कठिन है
जो खुद को देश पर कुर्बाँ करे
निजी स्वार्थ को जो दरकिनार करे
जो देश पर सर्वस्व निसार करे
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जलती तपती राहों पर चलकर
जो समाज की सेवा में तत्पर
सुख चैन नींद आलस्य त्याग
भारत का 'गौरव ' बढाता है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जलते है कुछ लोग यहाँ
ऐसे महान शख्सियतों से
गुनहगार न उससे बच पाए
वह प्रयास निरंतर करता है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
जो अपने हर एक वादे को
जी -जान से पूरा करता है
जब नियति उसके विरूद्ध हो
उसमें उसकी क्या गलती है
उसे समझ पाना क्या कठिन है
ठोकरों ने उसे चलना सिखाया
अपनों ने ही उससे मुंह फेरा
पुष्प- सा कोमल हृदय था जिसका
पाषाण हृदय वह कहलाया
उसे समझ पाना क्या कठिन है
गायत्री शर्मा
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