शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

गमे इश्क से इस बढ़के कोई गम तो नही है

गमे इश्क से इस बढ़के कोई गम तो नही है
मै जिंदा हुं अबतक ये कोई कम तो नही है

सैलाब जमाने मे हर सुं आया हुआ है
उपर किसी आशिककी नजर नम तो नही है

हालात बहोत बिगडे हुये से है चमन मे
जुल्फों मे तेरी देख कोई खम तो नही है

रातों मे मुझे युं लगा जब छतपर हुयी रिमझिम
पाजेब की तेरी कहीं छम छम तो नही है

रब भी न बचा पाया दिवाने को कतल से
कातिल कहीं तेरा हुस्ने मुजस्सम तो नही है

दावा है मेरा तुझको भुला दूंगा मै इक दिन
हालाकी इस दावे मे कोई दम तो नही है

ये दुःख साला... (राधे भैया to संदीप भैया)

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