बुधवार, 30 अप्रैल 2014

मन से मन कीजिए,तन से तन कीजिए

मन से मन कीजिए,तन से तन कीजिए,
 कडवाहटो पे भारी हो ऐषा मिलन कीजिए,

न रहे दिल में कोई भी शिकवा गिला,
 ऐषा कोई तो तुम भी जतन कीजिए,

 बह जायें सारे अक्श दर्द हैं मिटें,
ऐषा कुछ तो नया तुम करम कीजिए,

 मन के पंक्षी को आसमां में उढा,
स्वच्छ नीले गगन का विचरण कीजिए,

कोई अहसास जो रहे जीवित सदा,
मेरे गालों पर अपने ओठों से चुबंन लीजिए,

ये बाहें तडपती हैं तुम्हारे बिना,
ये तडप हो खतम ऐषा सनम कीजिए,
 
हो मुलाकात ऐषी कि देखें सभी,
दूसरों के दिलों में जलन दीजिए,

मन से मन कीजिए,तन से तन कीजिए
कडवाहटो पे भारी हो ऐषा मिलन कीजिए
 दाऊ जी

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