कर्म हीन इंसा की चाहतें
हरगिज पूरी होती नहीं
जीवन के ङगर में भी राहें
आसान होती नहीं
संघर्ष बिना जीवन का
कोई मोल होता नहीं
कोयला भी धरती में दबकर
हीरे की शक्ल में है ढलता
कर्म हीन इंसा की चाहतें
हरगिज पूरी होती नहीं
गायत्री शर्मा
हरगिज पूरी होती नहीं
जीवन के ङगर में भी राहें
आसान होती नहीं
संघर्ष बिना जीवन का
कोई मोल होता नहीं
कोयला भी धरती में दबकर
हीरे की शक्ल में है ढलता
कर्म हीन इंसा की चाहतें
हरगिज पूरी होती नहीं
गायत्री शर्मा
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