बुधवार, 11 जून 2014

प्यार की गाडी में प्रिय ब्रेक क्यूँ लगाया

मेरी उलझनों को तुमने 
देखो कितना है बढाया 

प्यार की गाडी में प्रिय 
ब्रेक क्यूँ  लगाया

जा रहे थे रफ़्तार से 
अब गति मंद हो गयी 

खुशियों के बीच थे रहे 
अब रंज ही हैं रह गए 

देखो मैंने भर दिया था
चाहत से उसके टैंक को 

जरुरत न पड़े कही भी 
हमको सेटलमेंट की 

फिर प्रिय तुमने क्यूँ 
ब्रेक है लगाया 

  क्यूँ मेरे दिल की 
उलझनों को बढाया 

बुलेट फ्रूफ गाडी 
एक झटके में टूट गयी 

प्रिय ऐशी कौन सी बात थी 
जो तुमने नफ़रत का बम चलाया 

हमारे प्रेम की गाडी को 
क्यूँ तुमने कबाड़ा बनाया 

मेरी उलझनों को तुमने 
देखो कितना है बढाया 

प्यार की गाडी में प्रिय 
ब्रेक क्यूँ  लगाया

दाऊ जी

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