गुरुवार, 18 सितंबर 2014

जो देखे वो कहे तुझको कि सूरत हो तो ऐसी हो,

जो देखे वो कहे तुझको कि सूरत हो तो ऐसी हो,
नज़र में फिर न आये और, मूरत हो तो ऐसी हो।

गए कूंचे में तेरे जब, अचानक मिल गए थे तुम,
हुए हैरां लगे कहने वाह! हिम्मत हो तो ऐसी हो।


देके दस्तक तेरे दर पे बा-उम्मीद करें इन्तजार,
न बोलें ना सूनें कुछ, बस हालत हो तो ऐसी हो।

बिछा दें बस उसी जानिब अपनी खुदी को हम,
हो दौलते-दीदार मयस्सर, ग़ुरबत हो तो ऐसी हो।

मुहब्बत की नज़र से देखकर तुम भी कहो हमको,
खुदया रहम कर, उनकी इनायत हो तो ऐसी हो।

कहे आशिक तेरा हमको जमाना, फक्र करें हम,
करे शुक्रे-खुदा कहे 'अली' किस्मत हो तो ऐसी हो।

दौलते-दीदार = दर्शन का धन (सुख), मयस्सर = उपलब्ध/प्राप्त,
ग़ुरबत = गरीबी, इनायत = कृपा

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