नयनों के निर्झर से बह बहकर
अश्क गालों पर आ आ जायेंगे
याद करूँगा जब जब तुमको
ये पुष्प लता सब मुरझाएंगे,
चाँद उदित होगा नभ में
मगर नजर अँधेरा ही आएगा,
क्रूर नियति ने छीन लिया क्यूँ तुमको
यही सवाल वो दोहराएंगे
लाख छुपा लूँ खुद के गम को
मगर नज़र वो आ जाएगा
षाषण दिल तो बन जाएगा
मगर नयन अश्क बहायेंगे
रक्त रंजित धमनियों में
तुम हमेशा बसी रहोगी ,
देह मूर्त होकर शांत रहेगी
मगर शव्द सीमा तोड़ देंगे
नयनों के निर्झर से बह बहकर
अश्क गालों पर आ आ जायेंगे
याद करूँगा जब जब तुमको
ये पुष्प लता सब मुरझाएंगे,
दाऊ जी
अश्क गालों पर आ आ जायेंगे
याद करूँगा जब जब तुमको
ये पुष्प लता सब मुरझाएंगे,
चाँद उदित होगा नभ में
मगर नजर अँधेरा ही आएगा,
क्रूर नियति ने छीन लिया क्यूँ तुमको
यही सवाल वो दोहराएंगे
लाख छुपा लूँ खुद के गम को
मगर नज़र वो आ जाएगा
षाषण दिल तो बन जाएगा
मगर नयन अश्क बहायेंगे
रक्त रंजित धमनियों में
तुम हमेशा बसी रहोगी ,
देह मूर्त होकर शांत रहेगी
मगर शव्द सीमा तोड़ देंगे
नयनों के निर्झर से बह बहकर
अश्क गालों पर आ आ जायेंगे
याद करूँगा जब जब तुमको
ये पुष्प लता सब मुरझाएंगे,
दाऊ जी
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