सोमवार, 29 सितंबर 2014

बस इतनी सी हसरत है

मुझे
पलकों में
बसा लो
बस
इतनी सी
हसरत है

मुझे
दिल में
छुपालो
बस
इतनी सी
हसरत है

मेरी
हसरतों को
 कर दो पूरा
बस
इतनी सी
हसरत है

डॉ. सोनल 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...