रविवार, 14 सितंबर 2014

प्रकृति भी देखो अब छूब्ध हुई!

देव भूमि केदारनाथ से
धरती का स्वर्ग कश्मीर तक

मानवबम विस्फोटकों से लेकर
प्राकृतिक जलमग्न संकेतों तक

विनाशकाले विपरीत बुद्धि से
प्रकृति भी देखो अब छूब्ध हुई!

गायत्री शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...