जीना चाहती हूँ मैं
अपने बचपन के उन पलों को
जिसमें छिपी मासूमियत है
चिंता ना भविष्य की ना वर्तमान की
परंतु उम्र नहीं निर्णय ले पाने की
मैं भी पढना चाहूँगी
मुझसे मेरा हक मत छीनो
बेटी हूँ मैं कोई कठपूतली नहीं
शिक्षा एक अनमोल रत्न है
मैने सीखा बचपन से
आज यही हथियार बना है
जागरूकता अभियान चला है
तभी समझ मैं पाई हूँ
लङका लङकी एक समान
शिक्षा बचपन का आधार!
गायत्री शर्मा
अपने बचपन के उन पलों को
जिसमें छिपी मासूमियत है
चिंता ना भविष्य की ना वर्तमान की
परंतु उम्र नहीं निर्णय ले पाने की
मैं भी पढना चाहूँगी
मुझसे मेरा हक मत छीनो
बेटी हूँ मैं कोई कठपूतली नहीं
शिक्षा एक अनमोल रत्न है
मैने सीखा बचपन से
आज यही हथियार बना है
जागरूकता अभियान चला है
तभी समझ मैं पाई हूँ
लङका लङकी एक समान
शिक्षा बचपन का आधार!
गायत्री शर्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें