मंगलवार, 30 सितंबर 2014

तुम्हे जो याद करता हूँ

तुम्हे जो याद करता हूँ
पल पल में मरता हूँ

न जीता हूँ,न मरता हूँ
बस तुम्हे ही याद करता हूँ

कभी स्वप्नों में आकर के
तुम हमें जगाती हो

कभी खुद नींद बनकर के
हमें सुलाती हो

आती है हवाओं में याद तुम्हारी
उसे मैं महसूस करता हूँ

अहसासों को जिन्दा रखने को
अपने गाल सहलाया करता हूँ

तुम्हे जो याद करता हूँ
पल पल में मरता हूँ

दाऊ जी 

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