गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

मुहब्बत का इशारा है दिल में दर्द का होना,



मुहब्बत का इशारा है दिल में दर्द का होना,
कहीं गहरा है बहुत दर्द, आहे-सर्द का होना.

दिखाता तूफां के आसार अब्र स्याह होकर,
फ़िज़ा में ऐसे बारहा गुबारे-गर्द का होना।

कोई न कोई हादसा तो होना है लाज़िम,
यूं ही बेजां नहीं है फलके-जर्द का होना।

मिटा करके ही छोड़ेगा जहां को एक दिन,
ये जारी इंसां-ओ-क़ुदरते-नबर्द का होना।

साजिशें हो रहीं है कारगर जिस तरफ देखो,
नहीं कोई रूबरू-हक़, हरकते-मर्द का होना।

अँधेरा ही अँधेरा है चमन बीरान हो चला,
दहशते-मर्ग से सुर्ख-रंग-गुले-जर्द का होना।

आलमे बद-हबासी उठ रही जब भी नज़र.
है बे यकीन निहां सेहरा में गर्द का होना।

अजब सा हो गया मंजर हयात का अपनी,
जिस्मो-दिल ही नहीं रूह में दर्द का होना।

कुछ तो हलचल हो रही है तेरे भी दिल में,
बेसबब नहीं हूँ , ये आहे-सर्द का होना।

आहे-सर्द = ठंडी आह!, अब्र स्याह = बादल काला, गुबारे-गर्द = धूल का चक्रबात, फलके-जर्द = आकाश पीला इंसां-ओ-क़ुदरते-नबर्द = मनुष्य और प्रकृति का युद्ध,
रूबरू-हक़ = सच्चाई के सामने, हरकते-मर्द = आदमी के कृत्य, दहशते-मर्ग = मृत्यु का भय, सुर्ख-रंग-गुले-जर्द = फूल का लाल रंग पीला/फीका होना, निहां = छुपा हुआ, सेहरा = रेगिस्तान

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