गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

अपने दस्त-ए-नाजुक से


अपने दस्त-ए-नाजुक से
मेरे गाल सहलाओं न,

मुझको अपने होने का
अहसास दे जाओ न ,

एक छुयन दिलको भां जाए,
मन में बसे,दिल खिल जाए,

कुछ ऐशा ही तुम हमें
अहसास दे जाओ न,

अपने दस्त-ए-नाजुक से
मेरे गाल सहलाओं न,

अपने लवों पे आपके
ओंठों की खुशबू,

हर वक़्त महसूस करूँ
उसी में खो जाऊं,

कुछ इसी तरह का
हमको अहसास दे जाओ न,

अपने दस्त-ए-नाजुक से
मेरे गाल सहलाओं न,


दाऊ जी 

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