मैं जब अपने मित्र के यहाँ पहुँचा तो वो सब नास्ते के लिए हमारा ही इंतजार कर रहे थे।नास्ते के दौरान उन्होने रात के घटनाकृम पर हमसे पूँछा तो जो सच था मैंने वही बताया।जब श्याम के बारे में बात की तो वो लोग अपने अपने तर्क देने लगे कोई कहने लगा हो न हो श्याम ही वो था तो कोई कहने लगा हो सकता है तुम थे इसलिए ऐषा न हुआ हो। वगैरह वगैरह ।नास्ते के बाद हमने अकबार पढने का विचार किया हमेशा की तरह खेल पेज से मेरा अखबार शुरु होकर प्फिरथम पेज परखत्म हो गया।मगर उस अखबार की एक खबर पर मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ,कल रात को भी एक लूट हुई थी ।मगर वो वहाँ से काफी दूरी पर हुई थी जहाँ पर मेरा रात्रि जागरण हुआ था
। मैंने शाम की तैयारियाँ शुरु कर दीतय वक्त पर मैं घर से निकला और ञिश्चित समय सीमा के अन्दर हमारी गाडी उक्त स्थान पर पहुँच गई।मगर मेरे भाग्य में कल की भाँति ही इंतजार करना लिखा हुआ था और हम आज भी लगभग इंतजार ही करते रहे मगर कोई न दिखा और मालूम नही कब नींद ळग गई।
मेरी नींद तो तब उचटी जब आज फिर किसी ने कल की तरह ही दरबाजा खटखटाया। मैंने झट से मोबाईल का सहारा लेकर उसका चेहरा देखने की कोशिश की मन का डर शांत हुआ ।अरे ये तो श्याम था।मैंने राहत की साँस ली और श्याम को अन्दर आने को बोला मगर वो अन्दर नही आया और वहीं से बोला-:
बहार आ जाओ सहाब जी,कहाँ चादनी रात का मजा मिस किये देत हो ये गढिया में बैठे -बैठे।
मैं गाडी से उतर कर उसके साथ चल दिया ।वह उसी वृक्ष की एक मोटी शाख पर जाकर बैठ गया जोकि बिल्कुल जमीन से छू रही थी और मैं भी उसके बगल बालली शाख पर जाकर बैठ गया।समय यही कोई लगभग तीन का रहा होगा।तो का आज फिर सहाब जी ऐंबईं घूम कढें??
अरे नही आज तो बस इस हसीन रात का मजा लेना था
वो हसने लगा ,आज उसकी हसी में कुछ विचिता सी थी चमुझे लगा जैसे वो मुझ पर हस रहा हो।
उसने मुझसे कहा-य सहाब जी यहाँ मत आया करो रात को,ये वहुत गलत जगह है आप जैसे लोगन के लाने।
क्युँ ऐषा क्या है यहाँ???
(मैंने उससे सच उगलवाने के लिए पूँछा)
इस पेड पर एक दुष्ट प्रेतातमा का बास है जो यहाँ रात में आने बाले को जिन्दा नही छोडती है।
अब मैं जोर जोर से हसने लगा-: हमने कहा कहानी अच्छी है और सुनाओ,यार अगर तुम्हें हमसे नही मिलना हो तो मत मिला करो मगर ये आत्मा वात्मा की कहानी सुना कर डराया मत करे।
वो मेरी तरफ विस्मित सा होकर देखने लगा।
ापको मेरी बात झूठ लग रही है।
बात झूठ या सच की नही है,बात है भरोसे की जो मुझे आपकी बात पर अभी नही हो रहा है,अगर यहाँ अकेलेे आने बाले को बख्सा नही जाता तो फिर तुम अब तक कैसे बचे रहे होगे।
(मुझे अब ये लगने लगा था हो न हो यही वो लडका है जिसकी वजह से ये गाँव परेशान है,यही कुछ न कुछ हरकतें करता होगा जिससे गाँव का आम आदमी डर जाता होगा और लोग संयोग को भूत बनाकर कहने लगे होगें।)
सहाब जी,मुझ गरीब का कोई क्या बिगाड़ेगा।हमतो वैसे भी दीन दुनियाँ के सताये हुए हैं।
अरे,तुम्हारे साथ किसने क्या कर दिया ??
कुछ नही सहाब जी मुहोब्बत करने की सजा पा रहे हैं.. खैर छोडिए सहाब जीआपने कभी इश्क किया है??
हाँ किया है और आज भी उसी से करता हूं।
वाह सहाब जी तब तो आप भी मेरे जैसे हु।
वो बात पलटने लगा था मगर मैं सच तक जामा चाहता था इसीलिए मैंने उससे फिर सवाल दागा तुमने बताया नही तुम अकेले कैसे आ जा सकते हो??
सहाब जी मैं अकेला कब रहता हूँ,मेरे साथ तो मेरी बीबी ऊषा रहती है न ।
तुम्हारी बीबी ??
हा सहाब हम दोनो ही साथ में आते हैं
तब तो वो अभी अ्केली होगी
अरे नही सहाब जी वो तो सो गई है इसीलिए तो हम आपके पास आ गये सोचा चलो आपके साथ रहेगें तो आप भी सलामत रहेगें और वक्त भी कट जायेगा।
अच्छा किया तुमने ,मगर यार ये प्रेतात्मा बाली कहानी कुछ जमी नही
कहानी नही बल्कि सच है सहाब जी,
अच्छा तो तुम्हे पता भी होगा कि ये कौन बना प्रेत??
सहाब जी हमें ब पता है यहीं पास ही के गाँव है न वो जो दूर से दिख रहा है उसी गाँव के एक कुम्हार का लड़का था ,जिसे यहाँ के चौहानो ने मिलकर मार दिया था।और मार कर इसी पेड पर फासीं लगाकर लटका दिया था,ताकि किसी को कोई सबूत न मिले और सबको आत्महत्या लग।
मगर क्युँ??
सहाब जी ये मुहोब्बत है न बडी कुत्ती चीज होती है ।
ओह तो यानि ये सब मुहोब्बत में हुआ था?
हा सहाब जी ,ये सब उनकी प्रेम कहानी की वजह से ङुआ था।
मेरे अन्दर के तार झनझना उठे मुझे लगा जैसे कोई ऑनर किलिंग की कहानी बतायी जा रही हो वैसे भी यू.पी और बिहार में ये आम बात है।अगर लडका या लडकी मेसे कोई भी ऊँची जाति का हुआ तो एक की नही बल्कि दोनो की मौत पक्की है और अगर एक समझाने से मान भी जाये तब भी नीची जात बाले को तो अपना कुछ न कुछ खोना ही पडता है।
दाऊ जी
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