लिख रहा हूँ गज़ल,जिन्दा
अहसास से
उठा के कलम चल दिया प्यार
से
इश्क में दिल से अच्छा कागज
मिलता नही
भर रहा हूँ उसे मैं जिन्दा
अहसास से
कुछ ख्वाहिशें हैं जगीं,कुछ
ख्याब बुन लिए
कुछ अनकहे प्यारे से अल्फाज
से
वहुत याद आती हैं,यादें
सताती हैं
दिल तड़प उठता है ,सिर्फ
तुम्हारी याद से
वो रस भरे से गुलाबी नर्म
नाजुक
प्यारे अधर आपके गुलाब से
निहारता हूँ ताकता हूँ रोज
तेरी तस्वीर
चाँद को तकते चातक के प्यार
से
लिख रहा हूँ गज़ल,जिन्दा
अहसास से
उठा के कलम चल दिया प्यार
से
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