शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

• मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना -3



शायद यही कोई नियम थे जो हमारे बीच बिना बोले ही बन गए थे और हम उन्हें पूरी सिद्दत के साथ समझ भी रहे थे |और हम उन नियमो का पालन भी कर रहे थे |हमारी आपसी समझ की बदौलत ही हमारी मुहोब्बत आज तक जिन्दा रहने में सफलता प्राप्त कर चुकी थी|
शायद मुहोब्बत जिन्दा रहने की दो वजहें और भी थी उनमे से एक और थी और वो थी हमारे बीच सम्बंधों की पवित्रता |

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उसके सुर्ख नाजुक मद भरे से कोमल गुलाब की पंखुड़ियों की तरह के सुरमई नशीले लवों से भी हमें प्यार था |जब भी वो रात को सुकून से सो जाया करती थी और हम रात को नींद के लिए तरसते रहते तो बस उस वक़्त मेरे लिए बस एक ही खिलौना होता था |मैं उसके सिर अपने हाँथ का तकिया देकरउसके छंद से चमकते चेहरे को बड़े प्यार से घूरता रहता था और बीच – बीच में खुद के भावो को काबू न रख पाने की वजह से अनायायास ही चूम लेता था |इश्क में चुम्बन नाजायज़ नही है और हम ये बात दोनों लोग ही समझते थे और जानते थे शायद इसलिए विरोध नही था मगर एक हद तक और जब वो हद को कोई भी लांघने का प्रयास करता तो फिर माहौल कुछ अलग ही हो जाता था |
सारी सारी रात कभी सर ,कभी कोमल सेव की तरह लाल गलों पर कभी जुल्फों पर कभी पलकों पर अपने औन्ठो पर अपनी छाप छोड़ता रहता था |करीने से बिखर चुके बालों को चेहरे से हटाकर मैं अपने दिल को सुकून पहुँचाने बाली आनन्द दायक स्मरति का लाभ ले लेता था और आनदं में डूब जाता था |अपनी तर्जनी ऊँगली से उसके लवों पर चिकोटी काटता और उसके नाजुक लवों के बदलते रंग को महसूस करने का प्रयास करता रहता था |न जाने क्या आनन्द था उनमे मगर कुछ न कुछ तो यक़ीनन था क्यूंकि अगर उनमे आनन्द न होता तो भला में रोज रोज उसे कैसे कर सकता था |
कभी कभी मेरे दिल की भावनाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती थी मुझे भी नही मालूम मेरे दिल के समन्दर में ये वासना का ज्वार क्यूँ फुदकने लगता था मगर फुदकता जरुर था और वो मेरे मन पर काबू कर लेता था |तब मेरा मन करता था की मैं उन रस भरे दो नाजुक से मय के प्यालों का पान करलूं उन प्यारी से गुलाब की पंखुड़ियों का रस भंवरा बनकर पान कर लूं ... मगर मैं ज्यों ही एषा करने के लिए अपने लवों को उसके लवों के पास ले जाता तो पता नही वो कहाँ से जाग जाती थी और हमें मज्बोऊरी बस उन लवों का रास्ता बदला पद जाता था |एक बार तो मैं इतने पास था इतने पास यानी मानलो सिर्फ कुछ इंच या शायद वो भी नही उसकी साँसे मेरे साँसों से टकराने लगी थी उसके लवों के गर्मी मेरे लवों पर मेहसूस होने लगी थी लेकिन अचानक ही उसने चेहरा घुमा लिया और हमारा पूरा मिशन फ्लॉप हो गया |ये मिशन जैसा ही था क्यूंकि जितनी मेहनत मैं इस एहसास को पाने के लिए कर रहा था उतनी तो किसी मिशन के लिए ही की जा सकती थी|
मेरी इतनी हिम्मत नही थी जो मैं खुलकर या फिर उसकी खुली आँखों के सामने अपने लवों को उसके लवों तक पहुंचा सकूं और न ही इतनी हिम्मत की उससे खुलकर मांग सकूं |यही हकीकत थी|
मैं अब तक समझता था की उसे हमारी हरकतों के बारे में कुछ नही मालूम ..लेकिन एषा हकीकत में नही था |
न जाने औरतों के अन्दर एषा कौन सा सेंसटिव या सेंसर होता है जो उन्हें उनकी त्वचा पर होने बाले हर छुयाँ के अहसास को बताता रहता है |मैंने इस बात को खुद ही महसूस किया है इसलिए मेरा ये निजी मन्ना गलत नही हो सकता |क्यूंकि मेरा अनुभव गलत नही था |
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मैं जब भी उस हसीं लम्हे को याद करता हूँ तो हसी निकल जाती है मेरी उसके लवों पर ऊँगली फिराने की आदत की वजह से मालूम नही वो परेशां हो उठी या फिर मजाक में उसने उसको दांतों के बीच दवा लिया और जनाब कसम से उस दिन तो हमने एक्टिंग में दिलीप जी को भी फेल कर दिया था |मैं इतनी जोर से चीखा जैसे मानलो किसी ने मेरे विस्त्र पर कोबरा फेंक दिया हो |हकीकत में उतनी जोर से उसने नही कटा था जितनी जोर से वो चीखी थी शायद उसका आधा भी नही या कहो उसके आधे का आधा भी नही |मगर मेरी चीख इतनी तीव्र थी की आप यकीन मानो वो इतनी जोर से घबरा गयी की उसने न सिर्फ ऊँगली छोड़ दी बल्कि डर भी गयी |मैं ऊँगली के छूटते ही सीधे बहार की तरफ भागा और सीधा जाकर बालकनी में रूका वो वहुत घबरा गयी थी उसकी नींद तो गायब हो चुकी थी और वो भी मेरे पीछे पीछे भागती हुयी आई ,मैं हाँथ को जोर जोर से झटक रहा था वो बार बार मेरे हाथ को पकड़ने का प्रयास करती और मैं उससे अपने हाँथ को छुड़ा लेता | उसका चेहरा डर की वजह से देखने लायक हो गया था वहां अँधेरा था मगर हम फिर भी एक दुसरे के भावों को महसूस कर पा रहे थे |मेरी आँखों में आशु नही थे क्यूंकि ये सब नाटक ही फर्जी था मगर मैंने अँधेरे का पूरा मजा उठाया था |वो मेरा हाथ पकड़कर मेरि ऊँगली देखना चाहती थी और मैं उसे दिखने में बिलकुल भी इंट्रेस्टेड नही था क्यूंकि मैं नही चाहता था की वो अभी ही सच जान जाए |इसलिए मैंने अपनी ऊँगली को अपने मुंह के अन्दर कर लिया जैसे उसमे से सच में ब्लड निकल रहा हो|

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