बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

सही जगह पर सही भाषा का उपयोग

वैसे अंग्रेजी बोलना बुरी बात नहीं है ना ही अंग्रेजी कोई थर्ड क्लास भाषा है...मगर शो ऑफ करने वालों का सर कलम कर देने का मन करता है...दरअसल एक बात इंसानों को समझनी चाहिए भले ही आप अंग्रेजी के प्रवीण वक्ता हों और हिंदी बोलने वालों को लुल्लू पुंजू समझते हों लेकिन आम और सादे जो थोड़े छोटे वर्ग के लोग हैं, अनपढ़ हैं उनसे हिंदी में ही वार्तालाप करनी चाहिए...अंगेजी का शो ऑफ आप मॉल, पब, डिस्को, रेस्तरां जैसे अंट शंट स्थानों पर बेझिझक कर सकते हो...रोका किसने है बे? ...लेकिन सब्जी वाले से, मोची से, परचून वाले, ऑटो वाले से अंग्रेजी झाड़कर खुद को सो कॉल्ड मॉडर्न पीपल कहलाने का क्या फायदा... वो कहते हैं ना जैसा देश वैसा भेष...हो सकता वो लोग आप की तरह अंग्रेजी के ब्रह्मा ना हों..कल शाम की बात है नाई की दुकान में कटिंग करा रहा था...इतने में एक महिला आई अपने मुन्ने की कटिंग कराने जो देखने, पहनावे, और हाव भाव से ही डूड गृह की प्राणी लग रही थी...आती ही बोली- एक्चुअली आई वांट यू टू कट माय सन्स हेयर इन कूल आर्मी मेन स्टाइल...यू नो पीछे से थोड़े शोर्ट...अब नाई सकपका गया...बस दो शब्द ही समझ पाया 'पीछे से'...बोला- क्या बोलत हो मैडम जी पीछे से...बहुत माथापच्चीसी के बाद बेचारा समझ पाया की फौजी कट बोल रही है महिला...ऐसे लागों से इतना ही कहूँगा या तो आप महेंगे 500 रुपये वाले सलून में जाए...या ऐसी छोटी जगह आ रहे हैं जहाँ हम जैसे शुद्ध देशी किसम के लौंडे विराजते हैं जिनकी जेब में कटिंग के लिए 30 और शेविंग के लिए 20 रुपये होते हैं तो हिंदी भाषा का प्रयोग करें.. __/\__

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