शनिवार, 27 अगस्त 2016

महाभारत -अत्यंत विकसित मानव समाज के विश्व युद्ध की गाथा।

महाभारत एक अत्यंत विकसित मानव समाज के विश्व युद्ध की गाथा है,
और इतिहास भी जो ५००० वर्ष पूर्व हुआ...!

अत्यंत विकसित समाज का अर्थ अत्यंत विकसित विज्ञानिक स्तर पर समाज से है....युद्ध अंतरिक्ष तक मैं हुए....

और इस भीषण युद्ध के प्रभाव से चन्द्रमा कि (पृथ्वी केन्द्रित,... सूर्य के सन्दर्भ मैं गति,... जिसको पंचांग मैं राहू से दर्शाते हैं) गति बदल गयी ,

और जयद्रथ के वध मैं अर्जुन की सहायता हो गयी !

अंतिम अस्त्र अश्वस्थामा ने जो छोड़ा था, वोह रसायन अस्त्र था जिससे 'उत्तरा' के गर्भ का नाश हो सके .....
और  उत्तरा  का अर्थ होता है...........''जो बचे हुए"..!

तो यह गलत अर्थ है कि उत्तरा  का अर्थ है अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा.....
जी हाँ वोह भी प्रभावित हुई थी...
क्यूंकि रसायन अस्त्र का उद्देश यही था, और इसीलिये इतने अ-मानवीय अपराध के लिए श्री कृष्ण ने अश्वस्थामा को दण्डित करा....|

युधिस्तिर का वंश राजा जनमेजय  से आगे नहीं चल पाया.....
और राजा जनमेजय  के पास कोइ विकल्प भी नहीं था, इसके अतिरिक्त कि जितना विज्ञानिक ज्ञान है , तथा जो विस्फोटक बिना फटे, इधर उधर पड़े उए थे, जिसमें रसायन अस्त्र भी थे ,
......उसे नष्ट कर दिया जाय |

बिखरे और उजड़ते हुए विश्व समाज को ..कोइ और अश्वस्थामा ना मिल जाय...!

इसीलिए वोह यज्ञ हुआ....यज्ञ  का अर्थ होता है,..''सामूहिक कठोर प्रयास'''
..इसी यज्ञ  को 'सर्प यज्ञ' के नाम से जाना जाता है.!

इसी यज्ञ  में  जितना विज्ञानिक ज्ञान था, तथा जो विस्फोटक बिना फटे, इधर उधर पड़े उए हैं, जिसमें रसायन अस्त्र भी थे ,......उन सबको नष्ट कर दिया गया |

सारे संकेत यह बताते है कि महाराजा पारिक्षित उस समय के वातावरण मैं बीमार हो जाते थे, जिसके लिए विशेष वातावरण मैं रहते थे...और उसी प्रदूषित वातावरण के संपर्क मैं आ कर उनका अंत हो गया...

एक विशेष अनुरोध==>

'गणेश व्यास संवाद' स्पष्ट बताता है कि महाभारत मैं एक विशेष कोड है, जिसको डाले बिना कोइ महाभारत पूरी तरह नहीं समझ सकता !

संस्कृत विद्वानों ने समाज की ठगाई धर्मगुरु कर सकें, इसलिए 'गणेश व्यास संवाद' के बाद भी इतना दुसाहस दिखाया कि यह बात छिपाई ..

लकिन सूचना युग मैं विज्ञान जो पुराणों मैं है, रामायण और महाभारत मैं है,..और जिसको संस्कृत विद्वान निजी स्वार्थ के लिए विश्वविद्यालय तल नहीं पहुचने दे रहे..

ताकी विश्व के अन्य छात्र इसपर शोघ कर सके लकिन हिन्दू छात्र न कर सके......

उसका विरोध करीये !

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