दुनिया के तमाम बड़े अपराधियों को एक निमंत्रण भेजा जाता है
एक आईलैंड पर आने के लिये ।
सभी उस आईलैंड पर आते हैं।
पहाड़ को खोखला करके बनाये गये एक विशाल भवन में सभी इकट्ठा होते हैं।
इंतजार करते हैं उस शख्स का जिसने उन्हें यहाँ आने का आमंत्रण दिया था।
एक बूढ़ा इंसान वहाँ प्रवेश करता है।
सभी उसको देखकर दंग रह जाते हैं।
वह था अपराध की दुनिया का महान शख्स तमस हॉक्स!
जिसे इंटरपोल से लेकर दुनिया की लगभग हर पुलिस खोज रही थी।
जिसने एम.आई.टी से केमिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक. किया था।
उसके बाद हावर्ड विश्वविद्दालय में पाँच साल तक रसायन विभाग का प्रोफेसर रहा।
लगभग 7 साल तक अमेरिकन मिलिट्री के लिये तरह-तरह का शोध करता रहा।
और अंत में सी.आई.ए. के लिये भी अनुसंधान कार्य में संलग्न रहा।
लेकिन एक दिन.......
उसने अमेरिका के राष्ट्रपति को एक खत लिखा।
जिसे पढ़ने के बाद उनकी मौत हो गई।
ये उसका अपराध की दुनिया में पहला कदम था।
और तब से उसने अनगिनत अपराध किये।
ऐसे जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था।
इंटरपोल और एफ.बी.आई ने उसे दुनिया का सबसे पढ़ा-लिखा और बुद्धिमान अपराधी घोषित किया।
जिस पर रूसी सरकार ने पकड़वाने वाले को 1,00,000/- रूबल का इनाम रखा।
जापानी सरकार ने तमस हॉक्स को ज़िन्दा या मुर्दा लाने वाले को एक बड़ा ईनाम देने की घोषणा कर दी थी।
कुल मिलाकर दुनिया के सारे देश हॉक्स को अपने देश का मुजरिम मानते थे और उसे अपने देश के कानून के मुताबिक सजा देना चाहते थे।
इसलिये हर देश की पुलिस तमस हॉक्स को पकड़ने के लिये अपने-अपने स्तर पर क्रियाशील थी।
लेकिन अभी तक कोई आशा-जनक परिणाम सामने नहीं आया था।
अमेरिका ने तो यहाँ तक दावा कर रखा था कि यदि कोई देश तमस हॉक्स को पकड़ती है तो उसे हर हाल में अमेरिका को ही सौँपना होगा।
अमेरिका की ऐसी दादागीरी कि वजह से यूनाइटेड-नेशन यानि राष्ट-मंडल को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा।
तब एक बीच का समाधान सुझाया गया कि तमस हॉक्स पर हर देश में मुकदमा चलाया जायेगा और हर साल उसे दूसरे देश की जेल में शिफ्ट कर दिया जायेगा।
इस सुझाव पर राष्ट-मंडल के सभी देश सहमत थे लेकिन जब तमस को फाँसी देने की बारी आई तो एक बार फिर विवाद उठा।
लेकिन इसका भी समाधान राष्ट-मंडल के देशों के चुनाव मत से हुआ।
और तमस को फाँसी देने का हक अमेरिका को मिला।
अब तमस की तलाश में इंटरपोल, सी.आई.ए(अमेरिका), ए.यस.आई.यस.(आस्ट्रेलिया), एम.यस.यस(चीन), सी.आई.बी(हाँग-काँग), यस.बी(जापान), ई.ए.बी.(न्यूजीलैंड), एफ.यस.बी.(रूस), यस.आई.डी.(सिंगापुर), सी.एन.आई(स्पेन), एन.डी.बी.(स्विटज़रलैंड), एम.आई.6(इंग्लैंड) आदि देशों की गुप्तचर संस्थायें तमस हॉक्स की तलाश में थी।
अपने एक गुप्त इंटरव्यू में, जिसे सी.यन.यन. पर दिखाया गया था, हॉक्स से एक सवाल पूछा गया था कि उसने अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या क्यों की?
जबाब बेहद विचित्र और सनसनी मचाने वाला था।
तमस हॉक्स के मुताबिक वो हमेशा से विज्ञान की दुनिया में कुछ ऐसा करना चाहता था ताकि आने वाले अनंत कालों तक लोग उसे उसकी खोज के लिये जाने। इसीलिये उसने एम.आई.टी. से एम.टेक की डिग्री ली और फिर हावर्ड में प्रोफेसर बना। जहाँ पर उसका अधिकतर समय एक ऐसे विषय पर शोध करते हुये गुजरता था जहाँ हम काल्पनिक कार्बनिक यौगिकों के बारे में बिना किसी परीक्षण के उसके भावी गुणों की व्याख्या कर सकते थे। जिसका नाम उसने दिया था फ़िक्शन-केमिस्ट्री यानि काल्पनिक रसायन।
यदि ऐसा हो जाता तो पूरा रसायन शास्त्र कुछ समीकरणों में सिमट जाता।
यानि तब हम गुण के बारे में सोच कर उस पदार्थ की रचना कर सकते थे।
(पाठकों को इस विचार की महत्ता समझाने के लिये मैं थोड़ा स्पष्ट करना चाहूंगा.......अगर आपने हॉलीवुड की फिल्म 'हालो-मैन' देखी है तो मुझे समझाने में बेहद आसानी होगी जिसमें एक वैज्ञानिक, इंसानी शरीर को अदृश्य बनाने के लिये एक रसायन का निर्माण करता है। यानि अगर काल्पनिक रसायन अस्तित्व में होता तो हम उस रसायन को बड़ी आसानी से बना सकते थे। इस तरह बस आप गुण सोचिए और उसका रसायन बना लीजिये।)
लेकिन कई असफल प्रयोगों के बाद अंततः जब सफल होने के मैं बेहद करीब पहुँचा तो मुझे लगा कि इसके लिये मुझे और पैसा चाहिये इसलिये मैंने मिलिट्री के लिये काम किया।
बाद में और पैसे का ऑफर आने पर मैंने सी.आई.ए. के लिये भी काम किया। पर कई सारी असफलताओं ने मुझे निराश किया और तब मुझे लगा कि मशहूर बनने के लिये कुछ आसान रास्ते भी थे।
किसी को मारना मेरे लिये बेहद आसान था।
पर सवाल ये था कि किसको मारने पर मैं हमेशा के लिये इतिहास के पन्नों में जगह पा सकता था।
और बस इसी मानसिकता के तहत मैंने अमेरिका के राष्ट्रपति को मार दिया। दुःख तो मुझे जरूर हुआ मगर न्यूज चैनल, अखबारों और नेट पर अपनी चर्चा देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे राष्ट्रपति के मरने का किसी को उतना दुःख नहीं हो रहा जितना की उस तरीके के बारे में जानकर लोग हैरान थे जो मैंने मारने के लिये इस्तेमाल किया था। उसके मरने से क्या फर्क पड़ता था। था तो एक साधारण सा इंसान ही। दुबारा कोई राष्ट्रपति बन जायेगा। लेकिन जो मैंने किया था, वो किसी और के लिये करना इतना आसान नहीं था। और उस घटना ने मुझे रातों-रात दुनिया का सबसे बुद्धिमान अपराधी घोषित कर दिया था। फिर तो जैसे ये मेरे लिये एक जिम्मेदारी बन गई थी कि अपनी इस छवि को बनाये रखने के लिये मैं कुछ ऐसे काम करूं ताकि लोग मेरे जैसा बनने का ख्वाब देखें। भले ही अपराधी सही लेकिन मेरी इनटेलीजेन्स से लोग प्रभावित होते थे। और वही अपराध करने के लिये मुझे प्रेरित करता था। तभी से मैंने सोच लिया था कि मैं सिर्फ वही अपराध करूँगा जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने। इसलिये किसी देश के राष्ट्रपति को मारना, मेरा सबसे पसंदीदा काम है।
इसलिये आज अगर हर देश का राष्ट्रपति किसी से डरता है तो सिर्फ मेरे नाम से यानि- तमस हॉक्स। जब दुनिया का सबसे शक्तिशाली और साधन सम्पन्न इंसान किसी से डरने लगे तो आप समझ नहीं सकते हैं कि भीतर से कैसा अहसास होता है। इसे महसूस करने के लिये आपको किसी देश के राष्ट्रपति का कत्ल करना होगा। जो कि बेशक आप नहीं कर सकते। इसलिये इस अहसास का मैं एकलौता मालिक हूँ। जिसे कई देशों के राष्ट्रपतियों को मारने का अद्वितीय अनुभव हुआ। काश कि मैं आपको समझा सकता। किसी राजनेता और फिल्म अभिनेता से भी लोग उतना प्रभावित नहीं होते जितना की मुझसे। लोग मुझसे मिलना चाहते हैं। मुझे देखना चाहते हैं कि क्या मैं वाकई में हूँ या सिर्फ एक अफवाह।
पर ये सच है कि मैं हूँ और जब तक हूँ, अपराध की दुनिया में सबसे बड़ा नाम मेरा ही रहेगा।
मरने के बाद भी हमेशा चर्चा में रहूँगा। शायद अनंत काल तक।
उसके इस इंटरव्यू को देखकर सारे अपराधी उसे अपना गॉड फादर मानने लगे और उससे मिलने के लिये सब में उत्सुकता जाग उठी। पर तमस हॉक्स का कभी भी किसी को भी पता नही चला। बस जब किसी बड़े अपराध में उसका नाम सामने आता तो इतना जरूर पता चलता कि तमस हॉक्स उस देश में है। पर कहाँ?...पता नहीं।
अलग-अलग देशों से आये हुये लोगों ने जब तमस हॉक्स को देखा तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ।
सबका सिर खुद ब खुद सम्मान में झुक गया।
अब सबके मन में बस एक ही सवाल था कि इस मीटिंग का उद्देश्य क्या था?
तब हॉक्स ने अपनी मंशा जाहिर की।
हॉक्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों से पुलिस काफी आधुनिक हो चुकी है जिसकी वजह से वो इस आईलैंड से बाहर निकल पाने में अक्षम है और दिन ब दिन वो बूढ़ा और कमजोर होता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में अपराध में आने वाली गिरावट की वजह से उस पर एक मानसिक तनाव हावी हो चुका था। इसलिये उसने फैसला किया कि मरने से पहले वो एक ऐसा सीनेट बनाना चाहता है जो अपराधियों को पुलिस की तरह आधुनिक बना दे। और इस सीनेट का काम होगा इंटरनेशनल स्तर पर अपराध को बढ़ावा देना। ताकि अपराध का अस्तित्व खत्म न होने पाये वरना उनका भी अस्तित्व हमेशा के लिये समाप्त हो जायेगा।
इस संस्था का नाम रखा गया........सीनेट-यक्स!
क्योंकि ये पूरी तरह से गुप्त और अज्ञात रहेगा।
फिर सारे अपराधियों की आपसी मंत्रणा से सीनेट के कुछ कड़े नियम बनाये गये।
1. अपराधियों को तीन श्रेणियाँ में बाँटा गया।
पहला- रेड..................अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रियाशील
दूसरा- ग्रीन................राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत
तीसरा- ब्लू................क्षेत्र-विशेष में सक्रिय
2. सीनेट-यक्स हर अपराधी को अपराध करने का एक लाइसेंस जारी करेगा। जिसकी वैधता एक साल होगी। लाइसेंस का बँटवारा श्रेणियों के आधार पर होगा। ~
रेड लाइसेंस..........अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य
ग्रीन लाइसेंस.........राष्ट्रीय स्तर पर वैध
ब्लू लाइसेंस..........क्षेत्र-विशेष में मान्य
3. अपराधों का वर्गीकरण करके उनके लिये क्रेडिट-प्वाइंट निर्धारित किया गया जो उस अपराधी के खाते में सीनेट-यक्स द्वारा स्थानांतरित कर दिया जायेगा। काम पूरा हो जाने के बाद। यदि कार्य पूरा ना हो सका तो उसके खाते से दुगने पैसे काट लिये जायेंगे।
4. अपराध कब? कहाँ? कैसे? और किसको? करना है, इसका निर्धारण सीनेट-यक्स करेगा।
5. सीनेट-यक्स पर एक लिंगीय जातिवाद का नियम आरोपित किया गया। यानि इस सीनेट में सिर्फ पुरुष हो सकते हैं, महिलायें नहीं। महिलाओं को अपराधी न मानते हुये सीनेट-यक्स की तरफ से कोई लाइसेंस जारी नहीं किया जायेगा और न ही सीनेट का संरक्षण मिलेगा।
6. सीनेट की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी लाइसेंस धारकों को पुलिस से बचाना, इमरजेंसी बैकअप प्लान और जरूरत पड़ने पर उन्हें जेल से छुड़ाना।
7. सीनेट-यक्स द्वारा ऐसे लोगों को दण्ड दिया जायेगा जो बिना लाइसेंस के या अवैध लाइसेंस के साथ कोई अपराध करेंगे। दण्ड की सजा मौत भी हो सकती है।
इसलिये वैधता खत्म होने के एक हप्ते के भीतर लाइसेंस लेना पड़ेगा।
8. सीनेट-यक्स का सदस्य बनने के लिये न्यूनतम एक इंसान का कत्ल या उसी क्रेडिट-प्वाइंट का अपराध करना अनिवार्य है।
ये सीनेट जब सक्रिय हुई तब दुनिया में आये दिन खबरों का बाजार गरमाने लगा।
बड़े-बड़े अपराधियों को दुनिया के हर जेल से छुड़वाया जाने लगा और तुरन्त ही उन्हें सीनेट की तरफ से जारी किया गया।
देखते ही देखते अपराध और अपराधियों की संख्या बढ़ने लगी।
पूरी दुनिया में मानो हड़कम्प सा मच गया।
और तब............
और सिर्फ तब.......
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सीनेट-यक्स की स्थापना के लगभग दस साल बाद-
नई दिल्ली, भारत.
ये अन्ना हजारे का दूसरा सबसे बड़ा आन्दोलन था जिसका विषय था अपराध के खिलाफ एक ऐसी संस्था का निर्माण जहाँ अपराध के कारणों पर व्यापक रूप से अनुसंधान किया जा सके ताकि उसके कारणों का पता लगा कर लोगों को अपराध करने से पहले ही रोका जा सके।
उन्होंने गाँधी जी का दृष्टिकोण जनता के सामने रखा कि अपराधी कोई भी बन सकता है। कल को मुझसे भी कोई अपराध हो सकता है इसलिये जरूरी है कि एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाये जहाँ अपराध और अपराधियों पर गहन रूप से शोध किया जाय और उसके कारणों का पता लगा कर अपराध होने से पहले ही उसको रोका जाय और अपराधियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से इलाज किया जाय, बजाय उनको फाँसी या जेल में ठूँसने के।
इस आन्दोलन का असर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में देखा गया। क्योंकि हर आम आदमी मनोवैज्ञानिक स्तर पर एक अपराधी होता है और हर किसी को ये डर रहता है कि कल को कहीं उससे जाने-अनजाने में कोई अपराध हो गया तो उसकी बाकी की जिन्दगी जेल की सलाख़ों के पीछे गुजरेगी।
हर इंसान के भीतर छिपे इस डर ने इस आन्दोलन को कामयाब बनाया और फिर सरकार को अंततः इस संस्था के प्रति अपनी सहमति जतानी पड़ी।
जल्द ही संसद में इस संस्था के निर्माण के लिये बहुमत पारित हो गया और इस संस्था का नाम रखा गया 'अपराध अनुसंधान केन्द्र' यानि 'Crime Research Center' या C.R.C
जिसे निम्न भारतीय गुप्तचर संस्थाओं से जोड़ दिया गया
National Investigation Agency (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण)
Central Bureau of Investigation (केंद्रीय अन्वेषण विभाग)
Intelligence Bureau (गु्प्तचर विभाग )
Research and Analysis Wing (शोध एवं विश्लेषण विभाग)
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