बुधवार, 28 नवंबर 2018

तू ही गज़ल है मेरी.

हर हर्फ तू हर नज़्म तू, तू ही गज़ल है मेरी.
मेरा दर्द तू मेरा मर्ज़ तू, तू ही दवा है मेरी...!!

तेरे साथ ही मैं हूँ सोंचता ये ज़िन्दगी होगी हसीं,
मेरा रक्स तू मेरा जश्न तू, तू सिसकियां है मेरी...!!

तेरे बिना इस ज़िंदगी में फिर बचेगा क्या भला,
तू रहमतें तू दुआयें हैं, तू ही सज़ा है मेरी...!!

तू ही रास्ता तू ही हमसफर तू है मुकाम मेरा,
तू ईमान है तू गुमान है, तू ही खता है मेरी...!!😍😍

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...