सोमवार, 21 जनवरी 2019

लफ्जोंको हंसने दे ताबिंदा सितारों की तरहा

बेमज़ा नग्मे न गा उजडी बहारों की तरहा
लफ्जोंको हंसने दे ताबिंदा सितारों की तरहा

चार दिन के लिये सब आते है भरी दुनिया मे
जिन्दगी रहती है मसरूफ किनारों की तरहा

दिल्ली देखी है पर दुख दिल्ली का देखा है क्या
लूटे गए है शहरवाले बेचारों की तरहा

कभी तैमुरों ने लुटा कभी चंगेजों ने
कभी अपनों मे जिये वक्त के मारों की तरहा

मस्जिदों मे दुआ प्रार्थना मन्दिरों मे
दरमियां अम्न है शर्मिंदा गुनहगारोंकी तरहा

जुल्फो रुख्सारो की तरहा नही मौसम दिलकश 
फिरभी बहते जा खुशरंग आबशारों की तरहा

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...