शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

मगर तेरी मुहब्बत को कशमकश कह नही सकते

ये माना तेरे दिवाने को मैकश कह नही सकते
मगर बेहोशी बिनभी खा गया गश कह नही सकते

कशमकश से ज़माने की इबादत पार कर देगी
मगर तेरी मुहब्बत को कशमकश कह नही सकते

बहारें है नज़ारें है के जन्नत होती है जन्नत 
मगर जन्नतको तुझसे ज्यादा दिलकश कह नही सकते

बुरी बातें सही मेरी बुरी आदत सही मेरी
मगर इक दिलके रोगीको बादाकश कह नही सकते

हज़ारों कारवां लूटे तेरे जिस हुस्ने कातिल ने
रहनुमा उसको कह देंगे खुदा बस कह नही सकते

रोज मिलते रहो धीरे धीरे खुशी मे ज़हर पी लेंगे
जहरो सम को दवाई भी तो बरबस कह नही सकते

अदा हसीं लहजा हसीं तकना हसीं चलना हसीं
तीर कितने लिये है तेरे तरकश कह नही सकते 


कभी लफ्ज़े मुहब्बत अपना अपने काम ना आया
मगर अब मौसमे उलफतको सरकश कह नही सकते

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...