शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

अपनी फितरत मे मुहब्बत शुमार करके देखो

वक्त के रहते रहते वक्त को प्यार करके देखो
अपनी फितरत मे मुहब्बत शुमार करके देखो

इम्तहां से गुज़रना पडता है
जिंदा रहने को मरना पडता है
मुझ मे जिंदा भी मै हुं के नही पुकार करके देखो

इस परिंदे मे जान हो कबतक
जाने इसकी उड़ान हो कबतक
दिलकी बाहों मे कभी खुद को बेकरार करके देखो

जितनी बटनी थी बट गई है ज़मीं
अब निगाहें है आसमां पे कहीं
अब तो खुदगर्ज़ीसे इस खुदको दरकिनार करके देखो

रफ्तारे दुनिया अजीब लगती है
होश ख्वाब बेखुदी हबीब लगती है
हिर्स ओ हवस की जरा कम रफ्तार करके देखो

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...