शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

दिलकी महफिल सजाये गज़ब हो गया

वो निगाहों मे आये गज़ब हो गया
इस तरहा मुस्कराये गज़ब हो गया

यक ब यक कह उठा दिलका सहरा मेरा
दिलकी महफिल सजाये गज़ब हो गया

जब मयस्सर हुई मुझको तनहाइयाँ
ख्वाबों ने गीत गाये गज़ब हो गया

ख्वाहिशों के परिन्दें युं उड़ने लगे
दिल उठा करके हाये गज़ब हो गया

जानेमन जबसे गुजरा है राहों से वो
रंग है उलफत के छाये गज़ब हो गया

रात मे चैन है ना अब दिनमे करार
हाले दिल क्या सुनाये गज़ब हो गया

किसतरहा से ये दिलभी है उसका मुरीद
चोट हस हस के खाये गज़ब हो गया

उनसे लेना न देना हकीकत मे कुछ
पर लगे ना पराये गज़ब हो गया

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...