. . . . . " प्रकृति/ स्त्री ". . . .
' मुझे अच्छा लगता है . . .
झुंड बनाकर / दौड़ती
गिरती /बढ़ती/ लड़ती
रोती/ हंस पड़ती बच्चियों को निहारना. . .
मुझे अच्छा लगता है. . .
युवतियों के अल्हणपन
उनके संकोच / अंहकार
अजीब से व्यवहार / और
योजनाबद्ध श्रृंगार को ताड़ना . .
मुझे अच्छा लगता है . . .
वयस्क स्त्रियों के तानों-बानो
सच-झूठ के स्वलिखित अफसानो
कुछ गंभीर तो कुछ बनावटी चेहरों
व्यवस्थित /अव्यवस्थित पर्तो को उघाड़ना. .
मुझे अच्छा लगता है. .
पोंपले मुंह वाली बूढ़ी औरतों के बुढ़ापे
कभी दुआंये देते तो कभी खिसियाये सठियापे
स्मृतियों को दुलारते, वर्तमान को लताड़ते
झुर्रियों के पीछे खड़े पिछले समय को झाड़ना . . .
मुझे अच्छा लगता है. .
मुझे और भी अच्छे लगते हैं. .
नदी / रेगिस्तान
झील/ पहाड़
झरने / जंगल
सन्नाटा/ हलचल
पेड़ / झाड़ियाँ
खेत / क्यारियाँ
निर्जन/ उपवन
पतझड़ / सावन
घर / खंडहर
फूल / पत्थर
मैदान / गुफायें
घुटन / हवायें
मुझे सम्पूर्ण प्रकृति ही अच्छी लगती है
एक मुकम्मिल स्त्री की तरह
प्रकृति ही स्त्री
या स्त्री में ही प्रकृति . .
खैर . .दोनो को ही पढ़ना
मुझे अच्छा लगता है. . .. . . .
' मुझे अच्छा लगता है . . .
झुंड बनाकर / दौड़ती
गिरती /बढ़ती/ लड़ती
रोती/ हंस पड़ती बच्चियों को निहारना. . .
मुझे अच्छा लगता है. . .
युवतियों के अल्हणपन
उनके संकोच / अंहकार
अजीब से व्यवहार / और
योजनाबद्ध श्रृंगार को ताड़ना . .
मुझे अच्छा लगता है . . .
वयस्क स्त्रियों के तानों-बानो
सच-झूठ के स्वलिखित अफसानो
कुछ गंभीर तो कुछ बनावटी चेहरों
व्यवस्थित /अव्यवस्थित पर्तो को उघाड़ना. .
मुझे अच्छा लगता है. .
पोंपले मुंह वाली बूढ़ी औरतों के बुढ़ापे
कभी दुआंये देते तो कभी खिसियाये सठियापे
स्मृतियों को दुलारते, वर्तमान को लताड़ते
झुर्रियों के पीछे खड़े पिछले समय को झाड़ना . . .
मुझे अच्छा लगता है. .
मुझे और भी अच्छे लगते हैं. .
नदी / रेगिस्तान
झील/ पहाड़
झरने / जंगल
सन्नाटा/ हलचल
पेड़ / झाड़ियाँ
खेत / क्यारियाँ
निर्जन/ उपवन
पतझड़ / सावन
घर / खंडहर
फूल / पत्थर
मैदान / गुफायें
घुटन / हवायें
मुझे सम्पूर्ण प्रकृति ही अच्छी लगती है
एक मुकम्मिल स्त्री की तरह
प्रकृति ही स्त्री
या स्त्री में ही प्रकृति . .
खैर . .दोनो को ही पढ़ना
मुझे अच्छा लगता है. . .. . . .