रविवार, 20 जुलाई 2014

मेरी हर खुशी तुझसे जुङी तुझ बिन मैं कुछ भी नहीं ख्वाहिशें पूरी करता है तूँ लोग समझते हैं नादाँ है तूँ भूल जाते हैं उपकार तेरा जो सोचते हैं सब कुछ हैं वो


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अंतर्द्वंद

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