ब्लॉग पर प्रकाशित हर लेख कॉपीराइट अधिनियम के तहत आता है एवम् हर रचना का कॉपीराइट अधिकार उसके पास सुरक्षित है। बिना अनुमाति किसी भी रचना को प्रकाशित करने या कॉपी पेस्ट करने पर आपको कॉपीराइट अधिनियम की धारा के उलंघन का दोषी समझा जाएगा और आप पर कानूनी कार्यवाही करने के लिए हम पूर्ण तौर पर स्वतन्त्र है। जी.आर.दीक्षित
रविवार, 20 जुलाई 2014
दिल में गमों का सैलाब मत रखना अपनी गलतियों को कभी तुम अस्वीकार मत करना तुम कितने भी विश्वासपात्र हो किसी के तुम्हारी एक छोटी सी चूक ही काफी है उस विश्वास के नींव को हिलाने के लिए तब तुम पश्चाताप के आँसू से नहीं धो पाओगे अपने गुनाहों के दागों को कुछ लोग शायद इश्वर से भी महान होते हैं जो नहीं माफ करना चाहते इश्वर की बनाई हुई इस सजीव मूर्ति को कुछ ऐसी ही जिंदगी है जिसमें धोखे और विश्वास के जाल से बुनती ये जिंदगानी है गायत्री शर्मा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अंतर्द्वंद
मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...
-
एक गाँव की समस्या 14 हजार लोगो के बीच की रुकावट बनी हुई थी।सरकारी पैसा मेरे किसी काम का नही था मगर हम सिर्फ उतना काम करना चाहते थे जितना उत...
-
वहुत बार सुन चुका था कि ये आत्मायें रात के बारह बजे के बाद ही सक्रिय होती हैं।अभी तो वही समय ही हुआ था।मन में अब लालसा सी होने लगी थी की और...
-
मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना -4 • मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना-3 • मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना-2 • मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना-1 वो ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें