अब सही वक्त आ गया है तो बता दूंगा,
मेरी सरहद पे नज़र रक्खेगा मिटा दूंगा।
तू मुझको दोस्ती के नाम पे धोका देगा,
मैं भी औकात तेरी तुझे याद दिला दूंगा।
भूल ऐसी न करना कि समझे नादान हमें,
कभी भूल न पायेगा सबक वो सिखा दूंगा।
मेरे सपनो का चमन, वतन हिन्दोस्ताँ मेरा,
इसकी शान में फक्र से खुद को मिटा दूंगा।
हमारी एक हकीकत है बुरा ना सोचते हैं हम,
हमारा जो बुरा चाहे, जमीं उसको चटा दूंगा।
तू क्या कितने तेरे जैसे है मुँह में पानी जिनके,
मगर जन्नत है मेरा मुल्क मैं सबको बता दूंगा।
कल तक परहेज था जिन्हें हिन्दोस्तान से मेरे,
वही पलकें बिछाएं आज मैं सबको दिखा दूंगा।
मेरे सीने में जज्बा ही नहीं फकत है दौड़ता लहू,
शाने-वतन की खातिर मैं हर कतरा बहा दूंगा।
मैं कभी न रहा बन्दूक का सिपाही मगर 'अली',
कलम में ताब है इतनी, आग इससे लगा दूंगा।
मेरी सरहद पे नज़र रक्खेगा मिटा दूंगा।
तू मुझको दोस्ती के नाम पे धोका देगा,
मैं भी औकात तेरी तुझे याद दिला दूंगा।
भूल ऐसी न करना कि समझे नादान हमें,
कभी भूल न पायेगा सबक वो सिखा दूंगा।
मेरे सपनो का चमन, वतन हिन्दोस्ताँ मेरा,
इसकी शान में फक्र से खुद को मिटा दूंगा।
हमारी एक हकीकत है बुरा ना सोचते हैं हम,
हमारा जो बुरा चाहे, जमीं उसको चटा दूंगा।
तू क्या कितने तेरे जैसे है मुँह में पानी जिनके,
मगर जन्नत है मेरा मुल्क मैं सबको बता दूंगा।
कल तक परहेज था जिन्हें हिन्दोस्तान से मेरे,
वही पलकें बिछाएं आज मैं सबको दिखा दूंगा।
मेरे सीने में जज्बा ही नहीं फकत है दौड़ता लहू,
शाने-वतन की खातिर मैं हर कतरा बहा दूंगा।
मैं कभी न रहा बन्दूक का सिपाही मगर 'अली',
कलम में ताब है इतनी, आग इससे लगा दूंगा।
ए एस खान जी
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