मरहम के बहाने,
दर्द ज़िंदा रखने
के
अपने स्वार्थ को
सिद्ध करने के ,
ये वादे वही
पुराने हैं,
इनमें में नही है
तनिक भी सच
सबके सब अन्दर से
पूरे खोखले हैं
ये तो सब चुनावी
चोचले हैं ,
कोई ईमानदार नही
यहाँ
ये नेता सब दोगले
हैं
लाशों पर हसने
बाले
धर्म-जाती पर
जीने बाले
इनके सारे आदर्श
,
सारे मन्त्र
जनता को लूटले है
कोई नही हकीकत
वादों में
ये तो सब चुनावी
चोचले हैं
ये नेता सरे दोगुले हैं
दाऊ जी
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