शनिवार, 15 नवंबर 2014

ये नेता सारे दोगुले हैं




मरहम के बहाने,
दर्द ज़िंदा रखने के
अपने स्वार्थ को
सिद्ध करने के ,
ये वादे वही पुराने हैं,
इनमें में नही है
तनिक भी सच
सबके सब अन्दर से
पूरे खोखले हैं 
ये तो सब चुनावी चोचले हैं ,
कोई ईमानदार नही यहाँ
ये नेता सब दोगले हैं
लाशों पर हसने बाले
धर्म-जाती पर जीने बाले
इनके सारे आदर्श ,
सारे मन्त्र
जनता को लूटले है
कोई नही हकीकत वादों में
ये तो सब चुनावी चोचले हैं
ये नेता सरे दोगुले हैं 
 दाऊ जी 

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