रविवार, 21 दिसंबर 2014

हमारे शहर की कुछ तंग

हमारे शहर की कुछ तंग गलियों पे,
 भले नज़र न पडी हो गूगल अर्थ की,
मगर उनकी तस्वीर बसी है दिल में,
होती है ताजा याद मेरे बचपन की।।

 दाऊ जी

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