सोमवार, 30 मार्च 2015

• मेरी डायरी का वो आखिरी पन्ना- 1


है हवाओं में आज खास क्या ,जो इतना इतरा रही है ,
चल रही है वो मंद मंद ,मुझे यादों में उलझा रही है ||
वर्षों बीत चुके हैं कॉलेज लाईफ की सिर्फ यादें ही बची हैं न जाने कभी कभी हवा के कुछ झोंके आकर एक सुखद एहसास दर्ज करा जाते हैं और जेहन में एक सुनहरी सिरहन दौड़ जाती है |आज भी मेरे साथ कुछ एषा ही हुआ है |जब से सुबह से जागा हूँ कहीं न कहीं एक अदद मुस्कान के साथ कुछ सुनहरे पलों को मिस कर रहा था |न जाने वो कौन से बीते हुए लम्हे थे जो मुझे मुस्कुराने पर मजबूर तो कर रहे थे मगर हम समझ नही पा  रहे थे |बर्षों से डायरी लिखने की आदत ने मुझे एक तरह से बांधे हुए रखा था |मैं सकारात्मक सोच सिर्फ इसलिए रख सकता था क्यूंकि मेरे पास ग़मों से पार पाने का एक वेहतरीन तरीका था लिखने का |जब रोज रोज के पलों को कैद करता था तो फिर आज कैसे रुक सकता था  और मैं तो आज भी लिखने को तैयार था और लिखना भी चाहता था मैं बस सोच ही रहा था लिखूं किसपे ... फिर भी कुछ पंक्तियाँ जो दिल में थी वो तो लिख ही सकता था मगर वो विषय के इतर थीं
“हो गया हैं मौषम , न जाने क्यूँ खुशनुमा सा
कुछ न कुछ तो होने बाला है कुछ नया सा ||
जब तक मुझे कोई विषय नही मिल जाता तब तक मैं भला कैसे लिख सकता था और रूक भी नही सकता था |आज तो काफी वक़्त है मेरे पास तो फिर क्यूँ न लिखना शुरू कर दिया जाए |मगर मैं चाहता था की अगर मैं कुछ लिखूं तो वो मेरे बीते पलों को याद करते हुए लिखा गया हो |डायरी लिखने की आदत तो वर्षों से  मगार उनके रख रखाव की फ़िक्र कम ही रहती है जिसकी वजह से वहुत सारी डायरियां कबरलैस हो चुकी हैं |कुछ के कुछ पन्ने शहीद तो कुछ लूले लंगड़े हो चुके थे |मैंने उन्ही में से एक डायरी निकाली और उसको जांचने लगा |वो डायरी मेरी कॉलेज लाईफ के आखिरी वर्षों से ताल्लुकात रखती थी |जिसमें वहुत सारी हसीं यादों के साथ कुछ अहम् राज भी छुपे हुए थे |मैंने तय किया कि इसी डायरी को पढ़कर इसी में से कुछ पॉइंट चुनकर उन्ही से सम्बंधित बिखरी यादों को समेत कर गमले रुपी मन में स्नेह रुपी जल से कुछ सुगन्धित पुष्पों के बीज डालकर अपने दिलों दिमाग को खुश करने बाली सुगंध उत्पन्न करने बाले पुष्प खिला कर अपने जीवन को हर्षमय बना दूँ |  मैंने डायरी को टेबल की तरफ उछाल दिया ..... वो हवा में गुलातियाँ खाते हुए अपने पन्नों को हवा के बहाव से विखरेने से न रोक सकटी हुयी औंधे मुहं जाकर टेबल पर गिर पड़ी ..... उसका कवर निचे जा गिरा ............

क्रमश :............

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