मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

मेरी आँखों में उतर आई है तुम्हारे इश्क की रौनक

मेरी आँखों में उतर आई है तुम्हारे इश्क की रौनक
खुद ही चमक उठी हैं ये अब याद आ गयी है चाहत ,

बस गया है तुम्हारा अक्श इनमें कुछ इस तरह से
खुद ही टपक आता है अश्क मिल जाती है राहत ,

मैं रोज आइनों में ताककर ,नयनो से तुमको निहारता  हूँ
लगता है जैसे तुम आ गयी हो ,होती है जब भी कोई आहाट,

तुमको पाकर मैं खुद को कब का भुला चूका हूँ
मगर मेरे दिलों में बसी हुयी है अब तक चाहत ,

कोई गम जब भी आता है पास मेरे ,मैं हंसकर टाल जाता हूँ ,
दिल इतना भरा है इश्क में ,नही होता अब आहत ,

मेरी आँखों में उतर आई है तुम्हारे इश्क की रौनक
खुद ही चमक उठी हैं ये अब याद आ गयी है चाहत ,

जी.आर.दीक्षित (दाऊ जी )

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