मेरा भी नेताओं सा
कुछ हाल हो गया
कुर्सी पाने सी ललक
और नोटों जैसा प्यार हो गया
अब तो बस हर वक़्त
उसी के बारे में बात करता
हूँ
दिन रात आने बाला
सत्ता सा स्वप्न हो गया है
मेरा भी नेताओं सा
कुछ हाल हो गया है
उसी का बखान सबसे
रटा-रटाया भाषणों सा
स्टार्ट करता हूँ
सर्व विदित एक ही डायलोग
का बार बार इस्तेमाल करता
हूँ
आजकल सेक्युलर छवि का
जोर से गुणगान करता हूँ
सभ्य सीदा बनने के चक्कर
में
साला सफ़ेद सूट हो गया हूँ
इस इश्क ने मुझे साला
क्या से क्या बना दिया
बंजर जमीन पर भी
हरियाली का बीज वो दिया
कितना सीधा सच्चा था मैं
साला मुझको कमीना बना दिया
सोचता हूँ इतना बदलाव
मुझमे कैसे हो गया है
मेरा भी नेताओं सा
कुछ हाल हो गया है
दाऊ जी
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