सोमवार, 14 सितंबर 2015

मगर इश्क करने से डरता है मेरा दिल

ख्याहिशें तुझे पाने की रोज करता है दिल
मगर इश्क करने से डरता है मेरा दिल

तमन्नाओ के समंदर में रोज घूम आता है
कुछ डुबकियां लगाके लौट आता है मेरा दिल

तनहा है बेचारा सा एक पंक्षी आवारा सा
कोई दरख्त खोजता है आशियाने को मेरा दिल

सुखे घास के तिनको से बनी है मेरी दूनियाँ,
इश्क की आग में खाक होने से डरता है मेरा दिल

मुश्किल से खुद को सम्हाल, एक परिवार बनाया है
फिर से यतीम होने से डरता है मेरा दिल।

ख्याहिशें तुझे पाने की रोज करता है दिल
मगर इश्क करने से डरता है मेरा दिल

दाऊ जी

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