झूंठ गर दोस्ती में बोला तो गुनाह हुआ,
न कोई राज़ अगर खोला तो गुनाह हुआ.
जिस हुश्न ने हिला दिया बजूद ही मेरा,
दिल उसी हुश्न पे डोला तो गुनाह हुआ.
मैं अदना आदमी था कुछ भी कहता,
खालिश सच भी बोला तो गुनाह हुआ.
शातिर है दुनिया बहुत देर से समझा,
मजलूम था गर भोला तो गुनाह हुआ.
देश बदला तो बदल भेष भी गया मगर,
एक इसी राज को खोला तो गुनाह हुआ.
फर्क आना न चाहिए था कभी दरमियां,
ये जहर तुमने जो घोला तो गुनाह हुआ.
हम न कहते थे कि पहचाने हैं इन्सां को,
तुमने नज़रों से जो तोला तो गुनाह हुआ.
कैसे कहोगे बेबफा हमको फकत 'अली',
बदल तुमने दिया चोला तो गुनाह हुआ.
बजूद = अस्तित्व, अदना = साधारण, खालिश = शुद्ध/खरा, शातिर = चालाक, मजलूम = सताया हुआ, दरमियां = मध्य में/बीच में.
न कोई राज़ अगर खोला तो गुनाह हुआ.
जिस हुश्न ने हिला दिया बजूद ही मेरा,
दिल उसी हुश्न पे डोला तो गुनाह हुआ.
मैं अदना आदमी था कुछ भी कहता,
खालिश सच भी बोला तो गुनाह हुआ.
शातिर है दुनिया बहुत देर से समझा,
मजलूम था गर भोला तो गुनाह हुआ.
देश बदला तो बदल भेष भी गया मगर,
एक इसी राज को खोला तो गुनाह हुआ.
फर्क आना न चाहिए था कभी दरमियां,
ये जहर तुमने जो घोला तो गुनाह हुआ.
हम न कहते थे कि पहचाने हैं इन्सां को,
तुमने नज़रों से जो तोला तो गुनाह हुआ.
कैसे कहोगे बेबफा हमको फकत 'अली',
बदल तुमने दिया चोला तो गुनाह हुआ.
बजूद = अस्तित्व, अदना = साधारण, खालिश = शुद्ध/खरा, शातिर = चालाक, मजलूम = सताया हुआ, दरमियां = मध्य में/बीच में.
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