सोमवार, 16 नवंबर 2015

तबेला बाले चुलबुल भैया की लव स्टोरी

आजकल अपने चुलबुल पांडे बड़े दुखी से रहते है, बहुत व्यथित नजर आते है। हम एक बार जाके पूछ लिये -आप भी कमाल करते हो पांडे जी इतनी खूबसूरत दुनिया है फिर इतना उदास काहे हो भाई? हमे क्या पता था चुलबुल भैया  भी FOSLA (frustrated one sided lovers association) के मेंबर बन चुके हैं। अब नाकाम आशिक़ खुश तो रह नही सकता न। चुलबुल बाबू की एक पुराने टाइम की मोहब्बत हुआ करती थी चिंकी। चुलबुल बाबू ठेठ up बोर्डिया, class में कम ग्राउंड में ज्यादा पढ़ने वाले। बोले तो पढ़ाई के नाम पर एकदम जीरो बट्टा सन्नाटा और चिंकी धरतीपुत्र मुलायम सिंह के प्रदेश में स्वकेंद्र की बोर्डिया topper.......
         स्कूल तक चुलबुल बाबू चिंकी के साथ ही पढ़े। फिर चिंकी चली गयी इंजिनियरिंग पढ़ने, पांडे जी आ गए घर के पीछे बने तबेले में। मेहनत से काम किया और बढ़िया अव्वल दर्जे की बोले तो यूपी बोर्ड टोप्प्पर्स से एक रैंक बेहतर की 3 नई भैंसे लाये। चुलबुल भैंसो को बढ़िया दाना पानी करते दूध निकालते और बस यही सोचते रहते कि अबकी दीवाली पर चिंकी आयेगी या नही, बिना चिंकी होली कैसे खेलेंगे? इसके अलावा मोहल्ले के तमाम पुराने नाकाम आशिक़ो की चांदी तब होती है जब उनकी पुरानी एकतरफा सेटिंग छुट्टियों में घर वापस आती है। सेटिंग वो लड़के समझते है पर लड़की उन्हें सिर्फ चौराहे पर खड़ा रहने वाला और एक आवाज में उनके मातहत की तरह घर का सामान लाकर रख देने वाले सड़कछाप मजनूं से ज्यादा नही समझती। फिर भी गर्मियों की छुट्टी में उन लड़को का उस चौराहे से हटने को मन नही करता जहाँ से उसके घर की बालकनी और बालकनी में वो दिखती है। हाय रे वर्षो पुरानी एकतरफा आशिकी जलील कराये बिना तू इन लड़को को छोड़ेगी नही।
        इस दीवाली चुलबुल बाबू की प्रार्थना रंग लायी और चिंकी दीवाली मनाने घर आयी। मोहब्बत के बराबरी के दावेदार मोहल्ले के लड़को ने चुलबुल बाबू का पत्ता कटवाने के इरादे से उन्हें चने के झाड़ पर चढा दिया और पांडे जी इतने भोले बिना पैराशूट बिना सपोर्ट के चने के झाड़ से हवा में dive मार दिए। अब होना क्या था गुलाब के आभाव में चम्पा का फूल लेकर चुलबुल चिंकी से ठेठ देशी अंदाज में बोले- 'चिंकी हम बचपन से हो तोको पसंद करते है, तेरे बिना हमरा बाडा सूना सूना लागत है। i love u चिंकी.......'  चिंकिया थोडा समझाते हुए बोली- अपना स्टैण्डर्ड तो देख लेते। हम बीटेक और तुम.......... । चुलबुल बाबू तपाक से बोल उठे- हम..... हम 3 भैस का owner....। चिंकी ने फिर समझाया- हमे ऐसा वैसा  मत समझो। हमारे 3 बॉयफ्रेंड पहले से है वो भी एक btech और दो बिजनेसमैन....... ... ।
अब चुलबुल बाबू भला अपने से बड़ा बिजनेसमैन किसे समझते 3 भैंस के स्वामी जो ठहरे, वो बोल उठे- बिज़नस तो हमरा भी है और 1 नही आजु बाजु के 2 मोहल्ला तक फैला है। ई मोहल्ला का जो सारा लड़का कान्वेंट में पढ़ने जाता है न सब हमारा ही दूध पीकर जाता है।
अब frustration में बन्दा तब तक नही मानता जब तक या तो वो अगले को गरिया न ले या अपनी ही छीछा लेथर न करवा ले। चुलबुल भी अपनि छीछा लेथर कराये बिना कहाँ मानने वाले थे। वो तो तब तक नही रुके जब तक चिंकी के मुँह से ये अमृत वचन नही सुन लिए- साले जाहिल गंवार........  खुद को देखा है कभी, तू भैंस के ही लायक है। उसी के साथ टाइम काट। अगली बार यहां आया तो शोर मचाके पुरे मोहल्ले में तेरा जुलुस निकलवा दूंगी।
          चुलबुल भैया को काटो तो खून नही। अब थोडा पढ़ लिख लिए होते तो चिंकी को फासीवादी बताकर वामपंथी कामरेड से मदद मांग लेते या फिर कभी कोई पुरस्कार मिला होता तो उसे ही लौटा देते। पर अफ़सोस उनके पास ऐसा कुछ न था। भैंसिया को लौटाते तो ये सीधा मेहनत और रोजी रोटी का प्रश्न था, हराम के पैसो से तो नही ली थी न भैंसिया..........
              इस बार की दीवाली दो तरह के लोगो के लिए फीकी रही। एक तो बीजेपी समर्थको की बिहार में हार की वजह से और दूसरी चुलबुल type नाकाम आशिक़ो की प्यार के उतरते खुमार की वजह से...... 
बीजेपी समर्थक जहां अब अगले पंजाब और उत्तर प्रदेश इलेक्शन की तैयारी कर रहे है वही चुलबुल बाबू भैसो की संख्या बढ़ाकर बिज़नस फ़ैलाने की कोशिश में है। बीजेपी वाले अगले इलेक्शन क लिए इंतजार कर रहे है तो पांडे जी अगली होली के लिए जब चिंकी वापस आएगी। तब इन दोनों के चेहरे पर हंसी होगी या मायूसी ये तो वक़्त ही बताएगा, फ़िलहाल तो दोनों की बत्ती गुल है। 
खैर हमकां तनिक दुःख है काहे से चुलबुल हमसे कहे रहइ की अगर चिंकी मआन गयी तो तुमको इक महिना फ्री दूध मिलेगा


बीजेपी बाले व्विकास कहकर गये थे

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