आज कुछ अलग टाइप के लव के बारे में बताता हूँ........ Platonic Love....
सन 1962 में गुरुदत्त साहब की एक मूवी आई थी "साहब बीवी और गुलाम" जिसमे छोटी बहू(मीना कुमारी) और भूतनाथ(गुरुदत्त) के बीच एक ऐसा ही रिश्ता होता है। छोटी बहू के प्रति भूतनाथ के लगाव में प्रेम के साथ आदर और चिंता भी है। छोटी बहू भी भूतनाथ को अपना विश्वस्त और प्रिय मानती हैं। भूतनाथ को देखकर वह खुश होती हैं। दूसरी तरफ भूतनाथ भी छोटी बहू पर अपना अधिकार समझता है। फिल्म के कुछ कोमल और अंतरंग दृश्यों में भूतनाथ छोटी बहू को तुम कहने से भी नहीं हिचकता। लेकिन फिल्म के एक दृश्य में हम देखते हैं कि शराब का ग्लास छीनने में जब भूतनाथ अचानक छोटी बहू का हाथ छू लेता है तो वह बिफर उठती हें। वह डांटती हैं कि तुमने एक परायी स्त्री का हाथ छुआ।
कभी पढ़ा था कहीं"प्लेटोनिक लव" के बारे में। आज अचानक फिर याद आ गया....... जब ऐसी फीलिंग आये कि बस किसी के साथ रहो उससे बाते करो। टाइम स्पेंड करो शेयर करो। और इसके अलावा मन में अच्छे सोच रखना ...... शायद यही सोच है जो एक अनजाने रिलेशन को शुरु कर सकती है। These pure feelings come together and make one fall in love, i.e., platonic love (pure love based on emotions Rather than on sensual feelings)
"Platonic love is a type of love that is chaste and non-sexual. The term is named after Plato, who was the first to describe this kind of love."
actually होता क्या है कि प्लेटोनिक लव में आप दूसरे से कुछ भी एक्सपेक्ट नही करते बस एक अनजाना लगाव होता है। सच कहूँ तो इसमें आपको अगले से कुछ नही चाहिए होता। आप अपने beloved को अपने नजरो के आमने रखना चाहते हो उससे बात करना चाहते हो और उसे convince करना चाहते हो और ये होता है above the general human tendency और इसलिए इसमें कुछ भी गलत इरादा नही होता। ये एक दम pure विशुद्ध होता है जहां अगले से कुछ एक्सपेक्ट नही कर सकते but एक अनजाना लगाव उसकी ओर खीचता है।
i think platonic form is the best form of love.........
जहां दूसरे को देखने का मन करे बात करने का मन करे और साथ में दूसरे को पवित्र रखने का भी सोच हो।
क्या आपको हुआ है कभी प्लेटोनिक लव, जिसमे लज्जा संकोच भय सब कुछ हो और साथ में दूसरे के लिए आगे बढ़कर बन्धनों को तोड़ने की ख्वाहिश भी.?..........
बताइयेगा जरूर.........
सन 1962 में गुरुदत्त साहब की एक मूवी आई थी "साहब बीवी और गुलाम" जिसमे छोटी बहू(मीना कुमारी) और भूतनाथ(गुरुदत्त) के बीच एक ऐसा ही रिश्ता होता है। छोटी बहू के प्रति भूतनाथ के लगाव में प्रेम के साथ आदर और चिंता भी है। छोटी बहू भी भूतनाथ को अपना विश्वस्त और प्रिय मानती हैं। भूतनाथ को देखकर वह खुश होती हैं। दूसरी तरफ भूतनाथ भी छोटी बहू पर अपना अधिकार समझता है। फिल्म के कुछ कोमल और अंतरंग दृश्यों में भूतनाथ छोटी बहू को तुम कहने से भी नहीं हिचकता। लेकिन फिल्म के एक दृश्य में हम देखते हैं कि शराब का ग्लास छीनने में जब भूतनाथ अचानक छोटी बहू का हाथ छू लेता है तो वह बिफर उठती हें। वह डांटती हैं कि तुमने एक परायी स्त्री का हाथ छुआ।
कभी पढ़ा था कहीं"प्लेटोनिक लव" के बारे में। आज अचानक फिर याद आ गया....... जब ऐसी फीलिंग आये कि बस किसी के साथ रहो उससे बाते करो। टाइम स्पेंड करो शेयर करो। और इसके अलावा मन में अच्छे सोच रखना ...... शायद यही सोच है जो एक अनजाने रिलेशन को शुरु कर सकती है। These pure feelings come together and make one fall in love, i.e., platonic love (pure love based on emotions Rather than on sensual feelings)
"Platonic love is a type of love that is chaste and non-sexual. The term is named after Plato, who was the first to describe this kind of love."
actually होता क्या है कि प्लेटोनिक लव में आप दूसरे से कुछ भी एक्सपेक्ट नही करते बस एक अनजाना लगाव होता है। सच कहूँ तो इसमें आपको अगले से कुछ नही चाहिए होता। आप अपने beloved को अपने नजरो के आमने रखना चाहते हो उससे बात करना चाहते हो और उसे convince करना चाहते हो और ये होता है above the general human tendency और इसलिए इसमें कुछ भी गलत इरादा नही होता। ये एक दम pure विशुद्ध होता है जहां अगले से कुछ एक्सपेक्ट नही कर सकते but एक अनजाना लगाव उसकी ओर खीचता है।
i think platonic form is the best form of love.........
जहां दूसरे को देखने का मन करे बात करने का मन करे और साथ में दूसरे को पवित्र रखने का भी सोच हो।
क्या आपको हुआ है कभी प्लेटोनिक लव, जिसमे लज्जा संकोच भय सब कुछ हो और साथ में दूसरे के लिए आगे बढ़कर बन्धनों को तोड़ने की ख्वाहिश भी.?..........
बताइयेगा जरूर.........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें