दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
सहर हर रोज की तरह फिर होने को हे
कैसे गुजरी कल की रात कहो कैसे कहूँ
दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
कल फिर मयखाने से लौट आया हूँ
लगाम जुबाँ पे जज्बात दवा आया हूँ
नशा शराब नहीं इश्के नशे से कैसे बचूं
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
तूने जो देखा था कमसिन निगाहों से
भटका दिया था मुझको मेरी राहों से
तू ही हे अब मंजिल मंजिल किसको कहूँ
न बची कोई आरजू कदम कैसे रखूं
दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
भूल जाऊं ये दुनिया भूल जाऊं तुझको
याद आती हर इक बात सांस ले न सकूँ
ये माना की ये साँसें खुदा की अमानत हैं
मौत प्यारी हे साँसों की हिफाजत कैसे करूँ
दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें