गुरुवार, 7 जुलाई 2016

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

सहर हर रोज की तरह फिर होने को हे
कैसे गुजरी कल की रात कहो कैसे कहूँ

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

कल फिर मयखाने से लौट आया हूँ
लगाम जुबाँ पे जज्बात दवा आया हूँ

नशा शराब नहीं इश्के नशे से कैसे बचूं
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

तूने जो देखा था कमसिन निगाहों से
भटका दिया था मुझको मेरी राहों से

तू ही हे अब मंजिल मंजिल किसको कहूँ
न बची कोई आरजू कदम कैसे रखूं

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

भूल जाऊं ये दुनिया भूल जाऊं तुझको
याद आती हर इक बात सांस ले न सकूँ

ये माना की ये साँसें खुदा की अमानत हैं
मौत प्यारी हे साँसों की हिफाजत कैसे करूँ

दिल में हे कुछ राज कहो कैसे कहूँ
छुभती हे शब् बे रात कहो कैसे कहूँ

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