बैसे
तो मुहोब्बत बड़ी कमीनी चीज है ... लेकिन अगर हो जाए तो फिर उससे वेहतर भी कुछ नही
...अगर . आपकि मुहोब्बत गलती से भी मुकम्मल न हुयी तो फिर असली सफ़र आपका तब शुरू
होता है ... चाय कि प्याली से शुरू होने बाला इश्क हो य वियर बार में जाम लगाकर
.... डिस्कों में डांस बाला....य हुक्का
बार में हुक्के केसाथ ..... प्रोग्रामों में साथ बाली के साथ ....भीड़ में निगाहों
बाला इश्क ... फेसबुक पर कमेन्ट बाला इश्क ...बस में सीट बाला इश्क .....ट्रेन में
सामने बाली सीट का इश्क ...थियेटर में कोर्नर का इश्क ......कोफ़ीशॉप बाला इश्क
.... ट्विटर /इन्स्टा बाला इश्क ... य फिर ओफ़ीस बाला इश्क ......|
इनमें
सब में बस एक बात कोमन है ....जब मुहोब्बत दूर होती होती है न तो असली खोज तब शुरू
होता है अपना सफर ... अपनी खोज ...हर जगह ....जहाँ पोसिबल नही होता है वहां भी
हमें अपना इश्क नज़र आता है ...मैं पिछले ३सालोन से हर रोज तुमको तुम्हारी यादों से
निकलकर बाहर खोजने जाता हूँ ,लगभग रोज मिल भी गया हूँ ऐसा फील करता हूँ ....|
अक्सर
कई गानों में, कई
सारी ग़जलो में मोहब्बत मिल जाती हैं। मैं जब तुम्हे ढूंढता हूँ, असल दुनियाँ के बाहर तो
फिर असल दुनियाँ असल में नकल लगती हैं और वो दुनियाँ जो असल में नकल हैं वो ही असल
हैं। और जब जब तुम मिली हो मुझे वहाँ तो फिर क्या फर्क पड़ता हैं, क्या असल हैं और क्या
नकल??
और
सच में तुम मिली हो कई मर्तबा।खैर हर ग़ज़ल तो नही लेकिन अकसर वहुत सारीगाज़लों में
तुमसे मुलाक़ात हो जाती है और फिर उसके बाद फिर जब तुम मिल जाओ तो तुम्हे जाने
क्यूँ दू मैं? इसलिए
लूप में सुनता जाता हूँ उन गानों को, उन ग़जलो को। और बैठाये
रखता हूँ तुम्हे ,कभी अपने सामने तो कभी अपने सिरहाने ... तुम्हारी उँगलियों को अपने
बालों में महसूस करने लगता हूँ .....तुम्हारा सानिध्य महसूस करने लगता हूँ ....फिर
से जीने लगता हूँ वो अनमोल ...खोचुके ....बीत चुके...अनमोल लम्हें... और डूब जाता
हूँ ...आंसुओं के समन्दर में... लगा लेता हूँ भावनाओं में बहकर डुबकी अपनी जिन्दगी
के सफ़र के हजारो भावनाओं से लबालब भरे समन्दर में.....तुम्हारे साथ ....लेकिन तुम
जाना नही ..अब कभी भी मुझ ...छोडकर
...वरना
टूट जाऊंगा ... नही जाओगी न तुम ....