शनिवार, 1 दिसंबर 2018

पहला प्यार




पहला प्यार पहला ही होता वो कशिश जो पहले प्यार में होती है वो दुबारा कभी नही हो सकती उस प्यार से मिले दर्द को आप कभी भूल भी नही सकते
मैं भी नही भुला आज तुम्हारी आवाज सुनी, मेरा तन मन सिहर उठा.... आवाज़ में वही जोशीलापन.. जो हजारो दिलों पर राज कर रही है.. पर एक मेरे दिल में धड़क रही है। तुम्हारी आवाज़ पर ही मर मिटता हूँ.. आज तुम्हें बाँहों में भर लेने को दिल करता है... कि सुना सकूँ वो धड़कन जो बस तुमसे है.तुम्हारे लिए है। मेरी आवाज़ को तुम्हारी आवाज़ का स्पर्श मिले तो हमारे गीत में निखार आ जाएगा।
अब इंतज़ार करूँ भी तो कब तक ?? अब इस दिल के अरमान भी मचलने लगे हैं। जब किसी को सुनता हूँ.. आवाज़ की तारीफ़ करते हुए... तो बस तुम्हारा चेहरा ही नज़र आता है। सबको लगभग ही चेहरे से इश्क़ होता है.. शायद मैं अनोखा हूँ, मुझे तुम्हारी आवाज़ से मुहब्बत हूई। हर अल्फाज़ से प्यार है।
नही भुला आज भी कुछ..सब याद है
हाँ मेरी पगली सब याद है मुझे हर बात
तुम्हारा हर बात पर रूठना हर बात मे कहना खाओ मेरी कसम.. और मेरा ये कहना (कसम ले लो)
आज भी यही कहना चाहता हूँ तुमसे
कि कसम ले लो.. हाँ सही सुना तुमने मेरी पगली
एक पल भी चैन से गुजरा हो तो कहूँ, अब तो तेरी यादों की तस्वीर ही शेष हैं मेरे लिए.... उन्हीं यादों का सहारा है मुझे.... यकीन ना आए तो....
कसम ले लो....
पहले की बात और थी, जो तुम पर हक़ जताता था मैं... अब तो खुद पर भी कोई हक़ नही है मेरा... यकीन ना आए तो....
कसम ले लो...
तुम्ही कहा करती थी ना... मेरे लबों पे तुम्हारा ही नाम आए... तुम्हारे बाद अगर लिया हो... किसी का नाम... तो
कसम ले लो....
क्योंकि तुम्हारी कसम खा कर मैं आज भी झूठ नही बोलता... और तुम ये जानती हो... यकीन ना आए तो....
कसम ले लो......
जानता हूँ नही आओगी अब तुम कसम लेने.. इसलिए आज कुछ लिखने बैठा कि इस बेवक्त की आँधी ने मेरी डायरी के पन्ने बिखेर दिए... तेरी यादों का एक एक लम्हा जो समेटता हूँ.. इन पन्नों में सब बेफिकर से झूम रहे हैं।
जैसे वो (आँधी) तुम ही हो जो इन पन्नों को एक के बाद एक पढ़ते जा रही हो। शायद मेरा बीता एक एक लम्हा जानने की कोशिश में तुमने ही आँधियों को रिश्वत दी है। मेरी ज़िन्दगी में वो एक शख्स तुम ही हो.. जिसके सिवा ना कभी कुछ चाहा और ना ही लिखा।
पर मेरी जान तुम भी कम नही हो.. इतनी तेजी में आ ही गयी.. देख ली ना मेरी डायरी.. इन आँधियों में भी अपने चारों तरफ मुहब्बत महसूस हो रही है मुझे....
बहुत पढ़ लि मेरी डायरी तुने कभी वो भी पढ़ना जो मैं लिख नही पाया... तुमसे कह नहीं पाया... कुछ अधूरी सी है अपनी ज़िन्दगी...
चल छोड़ तु नही समझेगी मुझे याद है तुने जाते-जाते एक बात बोली थी..हाँ शायद तुम भूल गइ होगी...पर मुझे याद है तुमने कहा था
ज़िंदगी में दोबारा 'प्यार' जरूर होगा। ज़रूरी नहीं कि आपका पहला 'प्यार' ही मुक्कमल हो, आपको मंज़िल मिल ही जाए, मगर एक बार दोबारा ख़ुद को डुबो कर देखिए। शायद 'प्यार' न हो मुकम्मल मगर हाँ आप इंसानी तौर पर ज़रूर मुक्कमल हो जाएँगा।
आप अपने पहले प्यार के साथ ताउम्र नहीं रह पायें। शायद आप उनको देखने को भी तरसें, मगर जब दुसरे 'प्यार' से एक मुलाक़ात होगी न 'प्यार' वाली वो बची हुई तमाम उम्र को महका जाएगी।
सो 'प्यार' कीजिए और टूट कर कीजिए। एक महबूब चुनिए और बुनिए कुछ रेशम से ख़्वाब!❤️
( पर अब तुम सुनो मैंने तुम्हे चुना हाँ वो रेशमी ख्वाब भी तुम्हारे साथ बुने.. अब नही होगा प्यार..क्योंकि प्यार हर एक को नही आजमाता)

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...