खामोशियाँ तुम्हारी सज़ा सी लगती है
तुम बिन जीना बस सज़ा सी लगती है
तुम चुप हो दम घुटा जाता है सीने मे
पलकें भरी सावन की घटा सी लगती है
बोझिल सी शाम वजूद पे छाने लगी अब
फूलों से खेलती हवा बेवजह सी लगती है
जाने कहाँ छुपा बैठा है आवारा चाँद मेरा
सूना है आसमां चाँदनी खफ़ा सी लगती है
चिरांग तो रौशन हुए हर घर के आँगन में
मन के उजाले से रौशनी लापता सी लगती है
तुम बिन जीना बस सज़ा सी लगती है
तुम चुप हो दम घुटा जाता है सीने मे
पलकें भरी सावन की घटा सी लगती है
बोझिल सी शाम वजूद पे छाने लगी अब
फूलों से खेलती हवा बेवजह सी लगती है
जाने कहाँ छुपा बैठा है आवारा चाँद मेरा
सूना है आसमां चाँदनी खफ़ा सी लगती है
चिरांग तो रौशन हुए हर घर के आँगन में
मन के उजाले से रौशनी लापता सी लगती है