रविवार, 2 दिसंबर 2018

मरके भी रहे आंखों मे हुस्ने गुलाब तेरा

फुलोँ पे बिखरी शबनम सा है शबाब तेरा
गुलशितां भी देखता है सुबहा सुबहा ख्वाब तेरा

दुनिया की फिक्र क्या है यादे इलाही तक
सबकुछ तो भुला देता है ये रुप लाजवाब तेरा

हर दिलके दिवाने की होती है यही हसरत
दिखता रहे ये चेहरा हसीं बेनकाब तेरा

तेरे जमाल का फुसुं है युं तारी खयालों पर
हर खयाल सिर्फ करता है बस इन्तेखाब तेरा

हो जाए सफर मुकम्मल ये हिज्र का लेकिन
मरके भी रहे आंखों मे हुस्ने गुलाब तेरा



अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...