रविवार, 16 दिसंबर 2018

देख के जिसको चांद तारे ये जल जाते है

तीर जब दिलपे निगाहों के ये चल जाते है
सारे मंजर ही फज़ाओं के बदल जाते है

हज़ार सब्र के परदों मे छिपे हो लेकिन
आतिशे हुस्न से अरमान पिघल जाते है

मोड होते है जवानी के संभलने के लिये
और सभी लोग यंही आके फिसल जाते है

जब से देखा है उसे निंद कहां आती है
ख्वाब आते है और आते ही मचल जाते है

चांदनी डालती है अपना दुशाला उसपर
मौसमे गुल रंग चेहरे पे मल जाते है

चांद को देखा नही जबसे उसे देखा है
देख के जिसको चांद तारे ये जल जाते है

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...