मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

शरारत है कयामत की निगाहे नाज मे तेरी

शरारत है कयामत की निगाहे नाज मे तेरी
तु लेना चाहता है दिल मेरा या जिन्दगी मेरी

बुलबुला पानी का लगती है तेरे बिन खुशी मुझको 
सुबह होती तो है रोशन मगर लगती है अन्धेरी

जंगल धुप का और नंगे पावों बंजारा दिल मेरा 
पहुंचने मे किसी अंजाम तक बस हो गई देरी

तेरी बाबद जब सोचू तो ये दुनिया लगती है छोटी
तेरे अरमानों ने ना जाने कितनी जगहा है घेरी

रेत का दरिया रेत का झरना है सारा जमाना ये
तु है मैखाना तेरे चार सुं है दिले तिश्ना की हर फेरी

रहे हस्ती मे फरिशते की तरहा है हर तेरी तमन्ना
राहत है शबे गम मे कोई तो है तेरी जुल्फें घनेरी

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...